हर आम आदमी की तरह ही हमारी भी कभी सरकार से, तो कभी प्रशासन से शिकायत रहती है कि ‘लाख शिकायत के बाद भी उसके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती.’ पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो शिकायत करने बजाय काम करने में यकीन रखते हैं. अब जैसे नकतुआ के रहने वाले भाई-बहन मैमूना खान और आमिर की कहानी को ही ले लीजिये, जो केंद्रीय विद्यालय में 11th और 10th के छात्र हैं.

इनका स्कूल घर से एक किलोमीटर की दूरी पर, जिसका रास्ता इतना ख़राब है कि लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल है. 2014 में दोनों भाई-बहनों ने मिल कर इस बाबत मुख्यमंत्री शिवराज चौहान को ख़त लिख कर इस सड़क की खस्ताहाली के बारे में बताया. मुख्यमंत्री तक ख़त पहुंचने पर उन्होंने भी ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के अंतर्गत सड़क को जल्दी ही बनवाने का ऑर्डर दिया, पर उनके ऑर्डर के बावजूद सड़क बनने का कहीं नामों-निशान तक नहीं मिला.

पिछले साल प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किये गये App पर भी मैमूना ने इस सड़क की शिकायत की. App पर शिकायत करने पर तुरंत कार्यवाही की गई और अगले ही दिन जिलाधिकारी इसका निरीक्षण करने आये, पर बात फिर आई-गई हो गई और सड़क के हालत वही रहे. जनवरी में मैमूना ने एक बार फिर जिलाधिकारी को शिकायत की, पर फिर भी कुछ नहीं हुआ. मैमूना के पिता हुसैन का कहना है कि प्रशासन की इस अनदेखी से मैमूना बहुत निराश हो गई, पर उसने हार नहीं मानी.

इसके बाद शिकायत करने के बजाय उसने अपने भाई आमिर के साथ मिल कर खुद ही सड़क को ठीक करने का निर्णय किया. दोनों भाई-बहन ने मिल कर सड़क के कई गड्डों को मिट्टी और पत्थर से भरा और सड़क को ठीक करने की एक कोशिश की.