महाभारत के एकलव्य की कहानी, तो आपने बचपन में पढ़ी ही होगी. वहीं एकलव्य, जिसने बिना किसी से शिक्षा लिए तीरंदाज़ी में महारत हासिल की थी. हालांकि, एकलव्य ने इसका श्रेय गुरु द्रोणाचार्य को दिया था.

आज हम आपको एक ऐसे ही एकलव्य के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने बिना किसी शिक्षा के मैदान में उतरेऔर अपने हौसलों का परचम लहराया. रायपुरा और सीकर की रहने वाली अर्चना और ऋतू चौधरी हाल ही में राज्य स्तर की पॉवर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पहुंची, जहां उन्होंने सिल्वर और ब्रोंज मेडल अपने-अपने नाम किये.

उनका पदक जितना इसलिए भी सुर्ख़ियों में आ गया, क्योंकि जिस काम को प्रोफ़ेशनल ट्रेनिंग ली हुई लड़कियां नहीं कर पायीं उसे इन दोनों लड़कियों ने कर दिखाया. दोनों लड़कियां बेहद गरीब परिवार से आती हैं, जिनमें एक के पिता खेती का काम करते हैं, जबकि दूसरे के पिता एक मजदुर हैं. श्रीगंगापुर में आयोजित हुई इस राज्य स्तर की प्रतियोगिता में उन्होंने दिखा दिया कि आप किसी भी परिवार से आते हों, पर आपके सपनों में यदि पंख है, तो उन्हें उड़ने से कोई नहीं रोक सकता.

अर्चना के पिता बंशीलाल बिलोनिया मजदूरी का काम करते हैं, जिनका कहना है कि ‘अर्चना के अलावा घर में अन्य तीन बच्चे हैं, जिनकी वजह से उनकी मजदूरी परिवार चलने के लिए काफ़ी नहीं रहती। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बच्ची को पढ़ाया और उसके सपनों को पूरा करने के लिए ज़रूरी चीज़ें ला कर दीं.’ अर्चना भी कॉलेज से लौट कर हर रोज 2-3 घंटे मेहनत करती थी. उसकी इसी मेहनत का परिणाम है कि आज उसने अपने ज़िले का नाम रोशन कर दिया.

वहीं दूसरी ओर ऋतू के पिता हवा सिंह का कहना है कि ‘ऋतू घर में सबसे छोटी है, पर मेडल जीत कर परिवार में सबसे बड़ी हो गई है.’