पैर फटे थे, खून भी निकल रहा था, लेकिन वो रुके नहीं. चेहरे पर दृढ़ निश्चय और अपनी मुट्ठी भीचें आगे बढ़ते रहे. कुछ ऐसा ही नज़ारा था कल देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की सड़कों का. यहां करीब 50,000 किसान, नींद में सोई सरकार को जगाने के लिए लगभग 180 किलोमीटर पैदल चल कर आए थे. लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि उनके दिन में मार्च करने से बोर्ड की परीक्षा देने जा रहे विद्यार्थियों को मुसीबतों का सामना हो सकता है, तो वो पीछे हटे और दिन की बजाए रात में मार्च करने का फैसला लिया.
ये दर्शाता है कि हमारे अन्नदाता को न सिर्फ़ अपने, बल्कि भारत के भविष्य की भी चिंता है. उनकी ये दरियादिली देख कर मुंबईकरों ने भी दिल खोल कर उनका स्वागत किया. करीब 6 दिनों से महाराष्ट्र के विदर्भ से मुंबई तक पहुंचे किसानों के लिए उन्होंने खाने और पीने की हर संभव व्यवस्था की.
Sikh community in Mumbai distributes food to farmers participating in the march. #KisanLongMarch pic.twitter.com/AqAGoluCu9
— AIKS (@KisanSabha) March 11, 2018
गौर करने वाली बात ये है कि लोगों ने सभी धार्मिक बंदिशों को तोड़ते हुए बढ़-चढ़ कर, जितना हो सका उनकी सहायता की. मुंबई के डब्बावालों ने अपने रोटी बैंक से रोटियां और खाना पहुंचाया, तो वहीं कुछ धार्मिक संगठनों ने उनके लिए पानी और खाना जिसमें पोहा, वड़ा पाव, बिस्किट आदि को वितरित करते नज़र आए.
This is what you cannot ever imagine to break @BJP4India @Dev_Fadnavis . Groups of #Muslims with food, water have been waiting on the route of #KisanLongMarch because they know the hardships the farmers are facing. @godavar @MumbaiMirror @alka_MIRROR @SitaramYechury pic.twitter.com/TfbIRqZKiY
— Anand Mangnale (@FightAnand) March 11, 2018
सिर्फ़ खाना ही नहीं, कुछ नागरिकों ने तो किसानों को अपने जूते-चप्पल तक पहनने के लिए ऑफ़र किये. जहां-जहां से भी ये किसानों की ये टोली गुज़री, वहां-वहां लोगों ने उनका स्वागत करते हुए धन्यवाद भी किया. कुछ एक लोगों ने तो उन पर फूलों की वर्षा भी की.
Mumbaikars showering the #KisanLongMarch with flowers from a walkway near Mulund. pic.twitter.com/YaURtZ5oNq
— AIKS (@KisanSabha) March 11, 2018
बहरहाल, ख़ुशी की बात ये है कि किसानों की कुछ मांगे मान ली गई हैं और कुछ के लिए सरकार ने उनसे वक़्त मांगा है. इसी के साथ ही ये आंदोलन समाप्त हो चुका है, लेकिन किसानों के इस मार्च को जिस तरह से मुंबईकरों ने सपोर्ट किया है, वो काबिल-ए-तारीफ़ है. वेल डन मुंबईकर्स, हमें आप पर नाज़ है.