बीते मंगलवार राजस्थान हाइकोर्ट ने 1996 में हुए समलेटी बमकांड मामले में 6 कैदियों को बरी कर दिया है. 1996-97 में जावेद ख़ान, अब्दुल गनी, लतीफ़ अहमद, मोहम्मद अली भट्ट, रईस बेग और मिर्जा निसार हुसैन को बमकांड मामले में गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया था. पिछले 23 साल तक ये सभी लोग जेल में ऐसे गुनाह की सज़ा काट रहे थे, जो इन्होंने किया ही नहीं.  

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वहीं कुछ समय के लिये इन कैदियों को अहमदाबाद और दिल्ली की जेल में डाला गया था. हांलाकि, बीच-बीच में ये सभी जमानत और पैरोल पर रिहा भी होते रहे. ख़बरों के मुताबिक, राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले पर अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि इन 6 आरोपियों के ख़िलाफ़ फडयंत्र करने का कोई सबूत नहीं मिल पाया है. इसके साथ ही बमकांड मामले के मुख्य दोषी अब्दुल हमीद के साथ भी इनके संबंध साबित नहीं किये जा सके हैं. इसके अलावा हाईकोर्ट ने अब्दुल हमीद की फ़ांसी और उम्रकैद की सज़ा जारी रखी है. 

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अदालत के फ़ैसले के बाद रिहा हुए सभी कैदियों का कहना है कि गिरफ़्तार होने से पहले ये लोग एक-दूसरे से परचित नहीं थे. इसके साथ ही इनका ये भी कहना है कि निर्दोष होते हुए जिस गुनाह के लिये इन्हें जेल में डाला गया, वो बीते 23 साल इन्हें कौन लौटाएगा? वहीं कश्मीर निवासी अली भट्ट रिहाई के तुरंत बाद अपने माता-पिता की कब्र पर गया, जहां उसने ख़ुद को टूटा हुआ पाया. मां-बाप की क्रब पर बिलखते हुए बेटे की ये तस्वीर भावुक कर देने वाली है.  

क्या है समलेटी बमकांड?

22 मई 1996 को राजस्थान रोडवेज की एक बस बीकानेर से आगरा जा रही थी, जिसमें हुए धमाके में 14 लोग मारे गये थे. वहीं 37 लोग बुरी तरह घायल हो गये थे. इस मामले में 12 लोग आरोपी पाये गये, जिसमें से अब तक 7 लोग निर्दोष साबित होकर बरी हो चुके हैं.  

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इसमें सबसे बड़ा सवाल ये है कि हमारे देश के सिस्टम में सुधार कब होगा. आखिर कब तक बेगुनाह जेल जाते रहेंगे और दोषी आज़ाद घूमते-फिरते रहेंगे?