पिछले कई दिनों से तीन तलाक़ को लेकर विवाद चल रहा है. महिला संगठनों का कहना है कि दूल्हे के तीन बार तलाक़ कह देने से मुस्लिम शादी ख़त्म हो जाती है, जिससे महिलाओं की ज़िन्दगी बर्बर होती है और उनके अधिकारों का हनन होता है. तीन तलाक़ अकेली ऐसी प्रथा नहीं है, जहां महिलाओं का शोषण होता है, आज हम आपको जिस प्रथा के बारे में बता रहे हैं, वो और भी बुरी है. हम बात कर रहे हैं निकाह हलाला की प्रथा का.

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तीन तलाक़ यानी तलाक़-ए-बिद्दत के कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां मुस्लिम पतियों द्वारा अपनी पत्नी को फ़ोन, ईमेल या लेटर लिख कर तलाक दे दिया गया. कई मामले तो ऐसे भी सामने आए हैं, जब नशे में पति ने अपनी पत्नी को तलाक दिया और सुबह उठ कर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. ऐसे में अगर पति-पत्नी दोबरा शादी करना चाहें, तो उन्हें तलाक़ हलाला नाम की एक प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है. इसके बिना वो दोबारा शादी नहीं कर सकते हैं.

इससे जुड़ा ओडिशा में नगमा बीवी का मामला चर्चित हुआ था. नगमा को उनके शौहर ने नशे की हालत में तलाक दे दिया था, सुबह उसे होश आया कि उसने गलती कर दी है. मगर मुस्लिम धार्मिक गुरुओं ने उन दोनों को साथ रहने की इजाज़त नहीं दी और औरत को निकाह हलाला के लिए भेज दिया.

निकाह हलाला में महिला की इज्ज़त का सौदा किया जाता है. जब कोई तलाकशुदा महिला अपने पति से दोबारा शादी करना चाहती है, तो उसे एक अजनबी के साथ शादी करके कम से कम एक रात उसके साथ गुज़ारनी पड़ती है. उसे उस मर्द के साथ हमबिस्तर भी होना पड़ता है.

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बड़ी संख्या में मौलवी ऐसी तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं की मजबूरी का फ़ायदा उठाते हुए उनके साथ एक रात गुज़ारते हैं और इसके बदले में उनसे पैसे भी लेते हैं. निकाह हलाला की विवादित प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए 20,000 से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक की रकम ली जाती है.

जब तक दूसरा मर्द महिला को तलाक़ नहीं दे देता, तब तक वो अपने पहले पति के साथ दोबारा शादी करके नहीं रह सकती. पर्सनल लॉ में इसी तरह का प्रावधान है.

एक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में ऐसे कई इस्लामी मौलवी बेनकाब हुए, जो पैसे लेकर ऐसी महिलाओं के साथ हलाला करते हैं, जो अपनी टूटी शादी को बचाने के लिए हताश हैं. इस प्रथा के बहाने कई महिलाओं का शोषण होता है, जिस पर जल्द से जल्द रोक लगनी चाहिए.

Feature Image: Indiatimes