Snowball Earth Slushy Study: करोड़ों साल पहले पृथ्वी इतनी ठंडी थी कि इसका ज़्यादातर हिस्सा बर्फ़ से ढका था, लेकिन ये बर्फ़ उतनी कठोर नहीं थी जितना कि अब तक माना जाता रहा है.

यह सिद्धांत लंबे समय से स्थापित रहा है कि करोड़ों साल पहले अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी बर्फ़ के एक गोले जैसी नज़र आती होगी और ज़मीन व समुद्र दोनों ही बर्फ़ से पूरी तरह ढके हुए थे. इस सिद्धांत का आधार भूमध्य रेखा के नज़दीक मिले हिमखंडों के अवशेष रहे हैं, जो दिखाते हैं कि बर्फ़ उन इलाक़ों तक भी पहुंच चुकी थी, जो आज सबसे गर्म हैं. ध्रुवीय क्षेत्रों से इतनी दूरी पर हिमखंडों के होने को आधार बनाते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि पृथ्वी पूरी तरह से जम गई थी.

Image Source: b-cdn

लेकिन इस सिद्धांत के उलट भी बातें कही जाती रही हैं. मसलन, इस बात को लेकर बहस जारी है कि पृथ्वी का कितना हिस्सा बर्फ से ढका था. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि कुछ ज़मीन या समुद्र के कुछ हिस्सों पर बर्फ नरम छलनीदार थी, जिस कारण नीचे ऑक्सीजन पहुंचती रहती थी और जीवन बचा रहा.

कैसे मिली ऑक्सीजन?

मंगलवार को नेचर कम्यूनिकेशंस नामक पत्रिका में छपे एक शोध पत्र में इसी बात को और जोर देकर स्थापित किया गया है. यह शोध बताता है कि नर्म बर्फ़ के ये क्षेत्र टुंड्रा प्रदेशों से सुदूर उत्तर में कहीं रहे होंगे. शोध ऐसे सबूतों पर आधारित है जो बताते हैं कि मारिनोएन हिम युग के दौरान एक छिलकेदार काली परत होती थी. मारिनोएन हिम युग 65 करोड़ साल पहले शुरू हुआ था.

Image Source: france24

दक्षिणी चीन के पास नानतुओ इलाके की परिस्थितियां उस वक्त के समुद्री वातावरण के एक आर्काइव की तरह हैं. शोधकर्ताओं ने लौह अयस्क के विश्लेषण और नाइट्रोजन की मौजूदगी के आधार पर यह अनुमान लगाया है कि ऑक्सीजन बर्फ़ के नीचे पहुंच रही थी और जीव नाइट्रोजन पैदा कर रहे थे.

इस शोध में शामिल विशेषज्ञों में से एक हुवे सोंग कहते हैं,

हमें मध्य उत्तरी पालियोलैटिट्यूड इलाकों में ऐसे सबूत मिले हैं कि वहां बर्फ नहीं थी. अब तक ऐसे बर्फ मुक्त इलाके सिर्फ भूमध्य रेखा के नजदीक ही मिले थे.

वूहान स्थित चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ़ जियोसाइसेंज में प्रोफेसर सोंग कहते हैं कि अब तक माना जाता रहा है कि धरती के बीचोबीच बर्फ मुक्त एक पतली सी पट्टी थी लेकिन संभव है कि अलग-अलग जगहों पर कुछ बर्फ़ मुक्त टुकड़े रहे हों.

Image Source: universetoday

इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया से लेकर ब्राजील तक विस्तृत इलाकों में अध्ययन किया है, जो बताता है कि जब ज्यादातर पृथ्वी बर्फ़ से ढकी हुई थी तब कहीं-कहीं ऐसे टुकड़े थे जहां बर्फ़ नहीं थी.

काम आएंगी जानकारियां

शोध रिपोर्ट कहती है कि इन टुकड़ों ने हिमयुग के खत्म होने के बाद जीवन को तेजी से उभरने में मदद की होगी. इस शोध में चार साल से ज्यादा समय लगा और वैज्ञानिक वूहान से 500 किलोमीटर दूर शेनोंगजिया जैसे एक बेहद सुदूर इलाके तक से भी नमूने लेकर आए.

Image Source: ctfassets

सोंग मानते हैं कि नई जानकारियां वैज्ञानिकों को समझने में मदद करेंगी कि हमारी पृथ्वी की जलवायु किस तरह काम करती है और अलग-अलग युगों में जीवन कैसे बदलता रहा है. भले ही हिमयुग को एक अति प्राचीन इतिहास के रूप में देखा जाता है लेकिन सोंग का तर्क है कि अब जबकि पृथ्वी एक बड़े जलवायु परिवर्तन से गुजर रही है तो उस युग से कई सबक सीखे जा सकते हैं.

वह कहते हैं, “इससे पता चलता है कि अत्याधिक विपरीत परिस्थितियों में जीवन कैसे बचा रहा. यह एक ऐसा मुद्दा है जो आने वाले सालों में जलवायु परिवर्तन के और गहन होने के साथ-साथ और प्रासंगिक होता जाएगा.”