छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. घटना इरपानार इलाके की है. स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ता हालत के चलते, एक बेटे को अपने पिता के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए बाइक पर 22 किलोमीटर तक ले जाना पड़ा.
गांव पीवी के निवासी 78 वर्षीय महादेव मंडल ने अपने ही घर में फांसी लगा ली थी. जब उनके बेटे अमल मंडल ने इसकी जानकारी पुलिस को दी, तो पुलिस ने बटे को ही शव को पोस्टमार्टम के लिए बांदे स्वास्थ्य केंद्र लाने को कह दिया.
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अमल मंडल ने एम्बुलेंस और दूसरे वाहनों की खूब तलाश की, लेकिन घंटों बाद भी उसकी व्यवस्था नहीं हो पाई. दरअसल, इस इलाके में शव को ले जाने के लिए प्राइवेट वाहन देने से लोग कतराते हैं. ग्रामीणों को इसके लिए सरकारी एम्बुलेंस पर ही निर्भर रहना पड़ता है. नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण यहां सुविधाओं की कमी है.
आख़िरकार बेटे ने अपने पिता के शव को बाइक पर रखकर करीब 22 किलोमीटर दूर बांदे उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया. पोस्टमार्टम के बाद अस्पताल प्रशासन ने शव के लिए वाहन की व्यवस्था कर दी. अस्पताल प्रशासन उस समय हरकत में आया जब मोटरसाइकिल पर शव रखकर ढोने की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो गईं.
गौरतलब है कि ओडिशा के कालाहांडी में आदिवासी दाना मांझी को भी अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा था. शव को अस्पताल से घर तक ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं मिली थी.