कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में हज़ारों प्रवासी मज़दूर देश के अलग-अलग राज्यों में फंस गए हैं. ऐसे में सरकार अब इन दिहाड़ी मज़दूरों को उनके गृहराज्य वापस भेज रही है. इसके लिए स्पेशल ट्रेन भी चलाई गई हैं. हालांकि, रेलवे इन मजबूर मज़दूरों से ट्रेन का किराया वसूल कर रहा है. यही वजह है कि इसे लेकर अब राजनीति भी गर्म हो गई है. विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है. इस बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एलान किया है कि पार्टी इन मज़दूरों के टिकट का पैसा देगी.   

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सोनिया गांधी ने सोमवार को सरकार पर निशान साधते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपित डॉनल्ड ट्रम्प के भारत दौरे के दौरान गुजरात में एक कार्यक्रम के लिए ‘100 करोड़’ खर्च किए और रेलवे की ओर से पीएम-केयर फंड में 151 करोड़ रुपये दिए गए. इसे ‘चिंताजनक’ करार देते हुए उन्होंने घोषणा की है कि पार्टी इन प्रवासियों के जो हमारी ‘अर्थव्यवस्था की रीढ़’ और हमारे ‘राष्ट्र के विकास के राजदूत’ हैं, इनके किराये का भुगतान करेगी.  

बंटवारे के बाद पहली बार देखा ऐसा दिल दहलाने वाला मंज़र  

सोनिया गांधी का बयान ट्वीट किया गया है, जिसमें कहा गया, ‘श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं. उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है. सिर्फ़ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए. 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार ये दिल दहलाने वाला मंज़र देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए. न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन. उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी. पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक व कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा. दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्क़िल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं.’  

आगे उन्होंने कहा, ‘श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?’  

आगे उन्होंने कहा, ‘श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?’  

उन्होंने कहा, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मेहनतकश श्रमिकों व कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया है. दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने. इसलिए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ये निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर ज़रूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी. मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का ये योगदान होगा.’  

कांग्रेस की घोषणा महज़ दिखावा  

हालांकि, सरकारी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की घोषणा महज़ एक दिखावा है.  

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केंद्र ने कहा, पहले से ही सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने के लिए ट्रेनों को आधा खाली चलाने की लागत वहन की जा रही है, साथ ही डॉक्टरों,सुरक्षा और रेलवे कर्मचारियों का खर्च भी उठा रही है.  

मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्य शेष 15 प्रतिशत लागत का भुगतान कर रहे थे, जो टिकट की कीमत थी. सूत्रों ने कहा, ‘राज्य पिछले 40 दिनों से प्रवासियों के भोजन और आश्रय के लिए भुगतान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि वे उन्हें ट्रेन का किराया भी दें. लेकिन ऐसा करने के लिए राज्य आगे नहीं आ रहे हैं.’  

गौरतलब है कि सरकार ने दो हफ़्ते के लिए लॉकडाउन आगे बढ़ा है, ऐसे में शुक्रवार से सरकार प्रवासियों के लिए स्पेशल ट्रेन चला रही है. राज्य सरकारों को प्रवासियों से टिकट की कीमत वसूलने के लिए कहा गया है.  

रेल मंत्रालय ने एक सर्कुलर में कहा, ‘स्थानीय सरकार के अधिकारी यात्रियों को टिकट देंगे और उसका पैसा वसूल करेंगे, जिसके बाद कुल राशि रेलवे को सौंपी जाएगी.’