अक्सर बड़े-बुज़ुर्गों से ये सुना होगा कि वो खाने-पीने की चीज़ों में वो स्वाद कहां, जो हमारे टाइम में मिलती थी. अब तो न ही वो स्वाद है और नहीं वो शुद्धता. ये बात वर्तमान में बिलकुल सटीक है. आज हर चीज़ में मिलावट हो रही है फिर चाहे वो सब्ज़ियां हों, तेल हो, आटा हो या फिर दूध. अब अगर बात हो रही है दूध की तो आपको बता दें कि आज जो हम दूध पी रहे हैं, या बच्चों को दे रहे हैं, उसकी शुद्धता की जांच करना नामुमकिन सा लगता है.

deccanchronicle

पर शायद अब आपकी इस समस्या का समाधान भी मिल गया है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) हैदराबाद के रिसर्चर एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिसमें माेबाइल फ़ोन के ज़रिये दूध में सोडा, बोरिक एसिड, यूरिया, पानी और शर्करा का पता लगाया जा सकेगा. रिसर्चर ने इसका प्रोटोटाइप तैयार किया है.

patrika

TOI के अनुसार, इस रिसर्चर्स की इस टीम का नेतृत्व कर रहे प्रोफ़ेसर, शिव गोविंद सिंह ने कहा कि क्रोमैटोग्राफ़ी और स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तक़नीक किसी भी तरह की मिलावट का पता लगाने के लिए पहले से उपलब्ध हैं, मगर ये तक़नीक काफ़ी महंगी हैं और इसी वजह से भारत में लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हमें ऐसे उपकरण विकसित करने की ज़रूरत है, जो किफ़ायती हो और जिसके इस्तेमाल से लोग आसानी से दूध में मिलावट का पता लगा सकें.

newsxind

प्रोफ़ेसर, शिव गोविंद के मुताबिक़, दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए जो डिवाइस तैयार की गई है, वो केवल एक कागज़ के टुकड़े की मदद से काम करेगी. ये होलोक्रोमिक पेपर डिटेक्टर का काम करेगा. मिलावट का पता लगाने के लिए जब इस पेपर को दूध में डुबोया जाएगा, और अगर दूध में किसी भी तरह की मिलावट हुई, तो इसका रंग बदल जाएगा. ये कागज़ एसिडिक चीज़ों के संपर्क में आने पर अपना रंग बदलता है. वैज्ञानिकों ने ये होलोक्रोमिक पेपर नैनोसाइज़्ड नायलॉन फ़ाइबर से इलेक्ट्रोस्पिनिंग तकनीक के इस्तेमाल से बनाया है. इसके अलावा इस प्रोसेस को फ़ोन से कनेक्ट करने के लिए स्मार्टफ़ोन-आधारित एल्गोरिदम विकसित की है, जिसे मोबाइल फ़ोन में डाला जाएगा.

smaptraining

कैसे करेगी ये प्रणाली काम

जब इस होलोक्रोमिक पेपर को दूध में डुबोने के बाद जब इसका फ़ोटो लिया जाएगा, तो इसका डाटा पीएच में बदल जाएगा. इससे दूध में हुई किसी चीज़ की मिलावट के बारे में आसानी से पता चल जाएगा.

ndtvimg

कितने फ़ीसदी होगा सही परिणाम

जब रिसर्चर्स ने इस प्रक्रिया का परीक्षण दूध पर किया, तो उनको 99.71% सही नतीजे मिले. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पशु कल्याण बोर्ड के मुताबिक, देश में बेचे जाने वाले 68 फीसदी दूध में मिलावट होती है और ऐसे में ये तकनीक लोगों के बहुत काम आ सकती है.