उत्तर प्रदेश में चुनाव की सरगर्मियों के बीच भगवान राम को खुश करने की मानो होड़ सी लग गई है. एक ऐसे प्रदेश में, जहां जाति के आधार पर वोट जोर शोर से मांगा जाता रहा हो, वहां राम के भरोसे बीजेपी के हिंदू वोटों में सेंध लगाने का फ़ैसला अब समाजवादी पार्टी ने किया है.

पिछले साल मोदी सरकार ने अयोध्या में रामायण म्यूज़ियम को बनवाने के लिए 151 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट की घोषणा की थी और अब इस साल समाजवादी पार्टी भी क्षेत्र के हिंदू वोटर्स को लुभाने के लिए नए प्रोजेक्ट का ऐलान कर चुकी है.

सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 20 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत रामायण की प्रस्तुति को आमजन तक प्रमोट करने के लिए ये कदम उठा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के रामलीला पार्क और भजनस्थल में एक ऐसा हॉल मौजूद होगा, जहां रामायण की मनमोहक तस्वीरों और वीडियो के अलावा हॉल में रामायण की कथा को पूरे दिन सुना जा सकेगा. समाजवादी पार्टी इस फैसले के साथ ही साथ बीजेपी के राम म्यूज़ियम प्रोजेक्ट की आलोचना करने से भी नहीं चूकी है. अयोध्या के विधायक पवन पांडे ने कहा है कि केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी बातें हवा में हैं.

गौरतलब है कि अक्तूबर 2016 में बीजेपी सरकार ने राम मंदिर के मुद्दे को एक बार फिर हवा दी थी. पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने इस दौरान अयोध्या का दौरा करने के बाद रामायण म्यूज़ियम को बनवाने का फैसला किया था. बीजेपी के इस फैसले पर बसपा, कांग्रेस और डीएमके ने विरोध भी जताया था और इस फैसले को धर्म के नाम पर वोट की राजनीति करार दिया था. खास बात ये है कि इस म्यूज़ियम की दूरी विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल से महज 15 किलोमीटर ही होगी.

हालांकि ये देखना दिलचस्प होगा कि मुलायम सिंह यादव का ये दांव क्षेत्र के हिंदू वोटरों को लुभाने में कामयाब हो पाएगा या नहीं. 1990 में अयोध्या में मौजूद कारसेवकों पर पुलिस फायरिंग करवाने के बाद से ही मुलायम हिंदुओं के बीच अपनी साख गंवा चुके हैं और 1990 के बाद हुए ज्यादातर चुनावों में सपा को अपने हिन्दू वोटों की संख्या में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है.

इस घटना के बाद से मुलायम सिंह यादव को कई लोग ‘मुल्ला मुलायम’ भी कहने लगे थे. हालांकि मुलायम के लिए वो फैसला कितना कठिन था, इसे वो 2013 में भी जाहिर कर चुके हैं. मुलायम ने इस घटना को याद करते हुए कहा था कि उनके लिए ये फैसला बेहद दर्दनाक था, लेकिन उनके पास इसके सिवा कोई चारा नहीं था. 

यूपी चुनाव का दंगल फरवरी में शुरु होने जा रहा है. 11 फरवरी से लेकर 8 मार्च तक होने वाले सात चरणों के चुनाव में अगर समाजवादी पार्टी अपनी इस रणनीति में कामयाब होती है तो मुलायम और सपा की राह काफी आसान हो सकती है.