Story Of A Dilkhush Who Started A Business Called ‘RodBez’: सच्ची लगन और मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है. साथ ही ऐसा लोगों ने कई बार साबित भी किया है. उनमें से ही आज हम आपको बिहार के दिलखुश की कहानी बताने जा रहे हैं. जिन्होंने सब्ज़ी बेचकर और रिक्शा चलाकर करोड़ों का बिज़नेस बना लिया. जी हां, जितना अविश्वसनीय ये सुनने में लग रहा है, दिलखुश ने ऐसा कर दिखाया है. चलिए जानते हैं उनके इस यूनिक सफ़र के बारे में-
ये भी पढ़ें: जानिए कौन हैं बिहार के IAS गोविंद जायसवाल, जिनके संघर्ष पर आ रही है फ़िल्म ‘Ab Dilli Dur Nahin’
चलिए जानते हैं दिलखुश ने कैसे शुरू किया इतना बड़ा बिज़नेस (RodBez Owner Dilkhush Inspiring Story)-
दिलखुश बनगांव (बिहार) के रहने वाले हैं
दिलखुश बिहार के छोटे से गांव बनगांव के रहने वाले हैं. जिन्होंने अपने दम पर एक कंपनी खड़ी की है, जिसका नाम ‘RodBez‘ है. आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा नाम है. लेकिन इस नाम के पीछे भी एक यूनिक स्टोरी है. लेकिन उससे पहले हम बता दें कि दिलखुश ने सिर्फ़ 12th क्लास तक पढ़ाई की है. वो हमेशा से एक बिज़नेस शुरू करना चाहते थे.
दिल्ली में रिक्शा चलाते थे
कहते हैं अच्छी सफ़ल ज़िन्दगी के पीछे मेहनत और क़िस्मत दोनों होती है. शायद दिलखुश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. दिलख़ुश पढ़ाई के बाद सब्ज़ी बेचते थे. यहां तक कि उन्होंने दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा भी चलाया है. जब वो ये काम करते थे तो उन्होंने ध्यान दिया कि बिहार में ट्रांसपोर्ट को लेकर लोग काफ़ी दिक्क़तें झेलते हैं. यहां से उनके दिमाग में प्लान आया.
बिहार में शुरू किया ‘RodBez’ के नाम से टैक्सी सर्विस
दिलखुश ने बिहार में टैक्सी सर्विस शुरू करने का निर्णय लिया. ताकि वहां के लोगों को सफ़र करने में आसानी हो. ये स्टार्ट-अप बिलकुल Ola और Uber की तरह ही है. जो 50 किलोमीटर से ज़्यादा सफ़र करने के लिए टैक्सी का साधन उपलब्ध कराती है. लेकिन RodBez लोगों से सिर्फ़ एक तरफ़ का किराया लेती है. आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण दिलखुश ज़्यादा पढ़ नहीं पाए.
कैसे हुई रोडबेज़ की शुरुआत?
उन्होंने इस स्टार्ट-अप की शुरुआत सेकंड हैंड कार से की थी. बाद में उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर एक App तैयार किया. 6-7 महीनों में उन्होंने 4 करोड़ रुपयों का फंड रेज़ किया. जिसके बाद सवा लाख लोगों ने उनके इस प्लेटफ़ॉर्म पर विज़िट किया. साथ ही अगर हम नाम की बात करें तो बिहार में अक्सर लोग ‘रोडवेज़’ का उच्चारण ‘रोडबेज़’ करते हैं. इसी देसी अंदाज़ को बरक़रार रखते हुए, उन्होंने ये नाम तय किया .
दिलख़ुश ने बताया कि प्रतिष्ठित संस्थान जैसे IIT गुवाहाटी के लोगों ने भी उनके इस नज़रिये को बढ़ावा दिया. साथ ही उन्होंने बताया कि IIM से भी लोग उनकी कंपनी में पार्ट-टाइम काम करते हैं.
वाह! दिलखुश का प्लान वाक़ई ज़बरदस्त है.