बस में सफ़र के दौरान एक दिन उम्रदराज़ अंकल मिले, जो शायद कई देर से बस का इंतज़ार कर रहे थे. आखिर में जब बस नहीं आई, तो आधे रास्ते चलने से बेहतर वो उस बस में चढ़ गए, जिसमें उन्हें जाना ही नहीं था.

ख़ैर किसी तरह लोगों के धक्कों से बचते हुए आगे पहुंचे, तो एक दोस्त ने अपनी सीट उन्हें दे दी. शुक्रिया कहते हुए पुरे वाकये को सुनाने लगे और आखिर में कहा कि ये देश ऐसे तो कभी नहीं बदल सकता. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश की ये हालात सिर्फ़ दो लोगों की वजह से हैं. पहले मैंने सोचा आज फिर नेहरू और गांधी के बारे में कुछ सुनने को मिलगा, पर अंकल का जवाब था कि ये ख़ाकी (पुलिस) और सफ़ेद कुर्ते (नेता) पहनने वाले लोगों ने इस देश का बेड़ा गर्क कर रखा है.

उस दिन अंकल की ये बात समझ नहीं आई थी, पर आज मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ का मामला देखा, तो लगा अंकल ने सही कहा था. ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के एक सरकारी स्कूल में बच्चों की फ़ाइनल परीक्षाएं चल रही थीं. ठीक उसी समय यहां के स्थानीय नेता जी, जो प्रदेश की राजनीति में बीजेपी का जाना-पहचाना चेहरा हैं, उन्होंने यहां एक कल्चरल प्रोग्राम रखा. इस प्रोग्राम में गाने-बजाने का बंदोबस्त किया गया था. इसी प्रोग्राम के चलते बच्चों को क्लास से निकाल कर मैदान में बैठा कर परीक्षा ली गई.

नेता जी के इस कल्चरल प्रोग्राम का वीडियो भी सुर्ख़ियों में रहा, जिसमें लड़कियां तेज़ आवाज़ों में बजते गाने पर डांस करती हुई दिखाई दे रही हैं. इस प्रोग्राम के बारे में स्थानीय प्रशासन का कहना है उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

इस तरह के माहौल में बच्चों ने किस तरह परीक्षा दी होगी वो तो आप समझ ही गए होंगे, पर इससे नेता जी को क्या फ़र्क पड़ता है. उनके लिए तो उनका कल्चरल प्रोग्राम बच्चों के भविष्य से ज़्यादा अहमियत रखता है.