कोविड19 की वजह से देश में मज़दूरों की बदहाली पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने Suo Moto Cognizance लिया. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा ‘मज़दूरों के घर जाने का किराया कौन वहन करेगा.’


इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘कुछ राज्य मज़दूरों के चलने से पहले किराया दे रहे हैं, कुछ पहुंचने के बाद और कुछ भरपाई कर रहे हैं.’ 

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मज़दूरों के हालात पर ग़ौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से मज़दूरों के खाने-पीने आदि के बारे में भी कई सवाल किए. सारी बातें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ निर्देश दिए- 

– मज़दूरों से बस या ट्रेन का किराया नहीं लिया जायेगा. रेलवे का किराया राज्यों के बीच विभाजित होगा.

– अलग-अलग राज्यों में फंसे मज़दूरों के रहने-खाने का किराया राज्य वहन करेगी और ये व्यवस्था कहां-कहां की गई है, राज्य इसकी बाक़ायदा जानकारी आम जनता को देगी.
– सफ़र के शुरुआत में यात्रियों को खाने-पीने की चीज़ें दी जायेंगी.
– सफ़र के दौरान मज़दूरों के खाने-पीने का ध्यान रेलवे रखेगी. बसों में भी खाने-पीने चीज़ें देनी होंगी.
– सभी मज़दूरों के रेजिस्ट्रेशन करने और उनको बस या ट्रेन में बैठाने की ज़िम्मेदारी राज्यों की होगी.
– पैदल चल रहे मज़दूरों को तुरंत शेल्टर में पहुंचाया जायेगा और उन्हें सभी सुविधायें दी जायेंगी. 

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जस्टिस अशोक भूषण, एस.के.कौल और एम.आर.शाह ने केन्द्र और राज्य सरकार को ये निर्देश दिए.   

देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही लाखों मज़दूर अपने घर लौटने की कोशिशों में लगे हैं. कुछ घर पहुंच गये और कुछ की रास्ते में ही मौत हो गई. बीते 24 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर Suo Moto Cognizance लिया था. 

Source- Live LawBar and Bench