दीपावली में भले ही अब भी कुछ दिन बाकि हों लेकिन दुकानें अभी से ही सज चुकी हैं. बाज़ारों में ख़रीदारी करने वालों की भीड़ दिखने लगी है. लोग हर साल की तरह इस बार भी इसी दुविधा में थे कि पटाखे जला पाएंगे कि नहीं. वायु प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट हर साल दिवाली से कुछ दिन पहले कोई न कोई ऐसा आदेश दे देता था, जिससे लोगों के बीच नाराज़गी देखने को मिलती थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने इस बार भी कुछ ऐसा ही फ़ैसला सुनाया है जिससे पटाखों के शौकीनों मायूस हो सकते हैं. कोर्ट ने इस बार आतिशबाज़ी के लिए सिर्फ़ दो घंटे का वक़्त दिया है. अब आप रात को 8 से 10 बजे के बीच ही आतिशबाज़ी कर सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने तय लिमिट से बड़े पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर भी रोक लगाई है. कोर्ट ने कहा कि अगर ई-कॉमर्स कंपनियों ने बड़े पटाखों की बिक्री जारी रखी, तो अवमानना की कार्यवाही होगी. वहीं क्रिसमस और न्यू ईयर के मौक़े पर रात 11:55 से 12:30 तक केवल 35 मिनट के लिए आतिशबाज़ी की इज़ाज़त दी है.

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जस्टिस ए.के. सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने केंद्र और राज्यों से कहा कि वो सामुदायिक आतिशबाज़ी को बढ़ावा देने के तरीक़े तलाशें, ताकि ज़्यादा प्रदूषण न हो.

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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में पटाख़ों की बिक्री पर कोई रोक नहीं लगाई, लेकिन इसके लिए भी कुछ शर्तें ज़रूर लगा दी हैं.

सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश

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– सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि अगर तय लिमिट से बड़े पटाखों की ऑनलाइन बिक्री होती है, तो संबंधित कंपनियों पर अवमानना की कार्यवाही की जाएगी.

– अगर किसी क्षेत्र में प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री होती है, तो इसके लिए ज़िम्मेदार संबंधित पुलिस थाने का SHO होगा.

– प्रशासन की इज़ाज़त वाली लाइसेंसी जगहों और दुकानों पर कम प्रदूषण वाले पटाखों की बिक्री हो सकेगी.

– दीपावली से सात दिन पहले और सात दिन बाद तक केंद्र और राज्य के ‘प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड’ प्रदूषण का स्तर देखें और उसे रेगुलेट करें.

देशभर में पटाखों की बिक्री पर रोक के बाद कोर्ट का फ़ैसला

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं, पटाख़ा निर्माताओं और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की दलीलें सुनने के बाद 28 अगस्त को फ़ैसला सुरक्षित रखा था. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि देशभर में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है, इस पर नियंत्रण के लिए देशभर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई जाए. तमाम दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने ये फ़ैसला सुनाया ताकि न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और न ही विक्रेता व ख़रीदार निराश हों. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल का फ़ैसला सुनाते हुए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी.

बच्चों ने की थी पटाखों पर बैन की मांग

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सुप्रीम कोर्ट के सामने अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और ज़ोया राव भसीन ने पटाखे पर बैन के लिए PIL दाखिल की थी. इन सभी बच्चों की उम्र 2 से 4 साल के बीच है. इस याचिका में बताया गया था कि कैसे प्रदूषण से सबसे ज़्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं.