पिछले कुछ समय से सीबीआई ही सीबीआई छायी हुई है. कभी सीबीआई डायरेक्टर को रातों रात बदल दिए जाने से तो कभी किसी राज्य पुलिस के द्वारा इसके अधिकारियों को गिरफ़्तार कर लिए जाने से. मगर आज सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को अदालत की अवमानना का दोषी पाया. सज़ा के रूप में अदालत ने उनपर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. साथ ही साथ अदालत की कार्यवाही ख़त्म होने तक एक कोने में बैठे रहने का फ़रमान सुना डाला.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एम. नागेश्वर राव के ऊपर सुप्रीम कोर्ट की इस सख़्ती कि वजह मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप केस की जांच कर रहे अधिकारियों का तबादला करना है. गौरतलब है कि इन अधिकारियों का तबादला कोर्ट के आदेश के विरुद्ध किया गया था. 

इससे पहले राव सीबीआई अधिकारी ए.के. शर्मा (जो मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेपकांड की जांच कर रहे थे) का तबादला करने के लिए अपनी ग़लती मानते हुए कोर्ट से माफ़ी की अर्जी कर चुके थे. मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने उनकी माफ़ी को नामंज़ूर कर दिया. मुख्य न्यायधीश अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल के इस तर्क से भी नाख़ुश थे कि राव ने जानबूझ कर अदालत की अवमानना नहीं की है.

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सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि 21 नवंबर 2018 के स्पष्ट आदेश के बावज़ूद जॉइंट डायरेक्टर ए.के. शर्मा को मुजफ्फरपुर बालिका गृह केस की जांच से हटा कर तबादला कर दिया गया. तबादले के बाद ए.के. शर्मा को सीआरपीएफ़ का डायरेक्टर जनरल बनाया गया है.

गौरतलब है कि टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज (TISS) कि एक रिपोर्ट के मुताबिक़ बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में बच्चियों के साथ बलात्कार का मामला सामने आया था.