कोरोनाकाल में लॉकडाउन के कारण बहुत से लोगों की नौकरियां चली गईं. लोगों के बिज़नेस तक ठप पड़ गए. इसके चलते शहरों में रहने वाले प्रवासी मज़दूरों के सामने रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया. जब खाना खाने तक के पैसे न हों तो लोग किराया कैसे देते. इसलिए बहुत से लोग पैदल ही अपने घर को निकल पड़े थे.
मुश्किल की इस घड़ी में कई लोगों ने प्रवासी मज़दूरों की हेल्प की. उन्हीं में से एक हैं सूरत के बिल्डर जो अपने द्वारा बनाए गए अपार्टमेंट में 42 परिवारों को आश्रय दे रहे हैं.
ये नेक काम कर रहे हैं बिल्डर प्रकाश भलानी. वो अपनी बिल्डिंग रुद्राक्ष लेक पैलेस में कोरोना महामारी के चलते आर्थिक तंगी से परेशान लोगों को रहने के लिए फ़्री में घर दे रहे हैं. सूरत के ओलपाड़ा में ये बिल्डिंग बनकर लॉकडाउन से पहले ही तैयार हो गई थी.
एक दिन एक शख़्स ने उनसे कहा कि वो घर जा रहा है क्या वो इन फ़्लैट में अपना सामान रख सकता है. तब प्रकाश जी को लगा कि उसकी तरह ही न जाने कितने लोग कोरोना काल में किराए का घर खाली करने को मजबूर होंगे. तब उन्होंने ऐसे लोगों की मदद करने की ठानी. प्रकाश जी ने सोशल मीडिया के ज़रिये लोगों तक फ़्री में फ़्लैट देने की बात पहुंचा दी.
इसके बाद कई ज़रूरतमंद लोगों ने उनसे संपर्क किया. फ़िलहाल इस बिल्डिंग में 42 परिवार रह रहे हैं. इनसे कोई किराया नहीं लिया जाता है. बस मेंटेनेंस के रूप में सिर्फ़ 1500 रुपये लिए जाते हैं. जिसके बदले में उन्हें वाईफ़ाई-पानी जैसी कई सुविधाएं दी जा रही हैं.
यहां रहने वाली एक महिला आशा निमावत ने कहा– ‘लॉकडाउन में मेरे पति की नौकरी चली गई. मकान मालिक ने घर का किराया न देने पर घर खाली करने को कह दिया. तब हमें किसी ने प्रकाश जी के बारे में बताया. उन्होंने हमें सिर छुपाने की जगह दी. हम यहां जब तक जी चाहे तब तक रह सकते हैं. प्रकाश जी हमारे लिए किसी भगवान से कम नहीं.’
प्रकाश भलानी का मानना है कि वो संकट की इस घड़ी में लोगों की मदद कर समाज को कुछ वापस करने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि यहां 92 फ़्लैट हैं. अगर सभी में लोग रहने को आ जाएं तो मेंटेनेंस का ख़र्च घटकर 1000 रुपये हो जाएगा. उन्होंने ये भी बताया कि जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते ये लोग यहां पर आराम से रह सकते हैं.
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