हमारे देश को भ्रष्टाचार और घूसखोरी एक दीमक की तरह अंदर ही अंदर खाये जा रही है और कोई कुछ नहीं कर पा रहा है. करे भी कैसे एक आम आदमी को छोटे से छोटा सरकारी काम कराने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और काम जल्दी कराने के लिए घूस देनी पड़ती है. देश का कोई राज्य कोई शहर ऐसा नहीं है, जहां घूसखोरी और भर्ष्टाचार न होता हो. हां मगर ये भी सच है कि ये भर्ष्टाचार कहीं कम या नाम मात्र के लिए है, तो कहीं बहुत ज़्यादा. एक एनजीओ द्वारा कराये गए सर्वे में इस बात का पता चला है कि देश के जिन राज्यों में सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार है, उस लिस्ट में कर्नाटक सबसे ऊपर यानी टॉप पर है.
यह सर्वे सेंटर फ़ॉर मीडिया स्टडीज ने कराया है. इस सर्वे के दौरान 20 राज्यों के शहरी और ग्रामीण इलाकों के करीब 3,000 लोगों की राय ली गई. इस रायों के आधार पर बनाई गयी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में करीब एक तिहाई लोगों को कम से कम एक बार सरकारी काम कराने के लिए भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा. गौरतलब है कि 2005 में हुए इसी तरह के एक सर्वे के दौरान भी 53 फीसदी लोगों ने घूस देने की बात स्वीकारी थी.
इस सर्वे द्वारा सरकारी कामों को कराने के लिए दी जाने वाली घूस के आधार पर भ्रष्ट राज्यों की एक सूची बनाई गई है. इस सूची के अनुसार, जहां सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार वाले राज्यों की सूची में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और पंजाब हैं. वहीं हिमाचल प्रदेश, केरल और छत्तीसगढ़ का नाम सबसे कम भ्रष्टाचार वाले राज्यों की सूची में हैं.
सर्वे की रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि आधे से ज़्यादा लोगों ने यह स्वीकार किया कि नवंबर और दिसंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान पब्लिक सर्विसेज़ में भ्रष्टाचार में काफी गिरावट आई थी.
रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में 20 राज्यों के 10 सरकारी महकमों में लोगों ने 6,350 करोड़ रुपये घूस के तौर पर दिए, जबकि 2005 में यह आंकड़ा 20,500 करोड़ रुपये था.
इस सर्वे में जिन सेवाओं को आधार माना गया है, उनमें खाद्य आपूर्ति, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल, पुलिस, अदालत, बैंक, जमीन रजिस्ट्रेशन और टैक्स शामिल हैं.
सर्वे से ये बात साफ़ हो जाती है कि सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना और ठोस कदम उठाना बाकी है.