इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं. 

बस एक यही जज़्बा मन में लेकर लाखों लोग, महामारी जैसी मुश्किल घड़ी में लोगों की बढ़ चढ़कर मदद कर रहे हैं. कोई मज़दूरों को घर भेज रहा है या फिर ग़रीबों को खाना खिला रहा है, तो कई लोग आम जनता को ज़रूरी स्वास्थ उपकरण मुहैया करवा रहे हैं. 

ऐसा ही एक नज़ारा, तमिलनाडु राज्य के मदुरई शहर से देखने को मिला. 

तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम में कंडक्टर की नौकरी करने वाले 44 वर्षीय, वी करुप्पासामी ने अपने एक महीने की तनख़्वाह से बस में आने वाले यात्रियों के लिए 2,000 मास्क ख़रीदे हैं. 

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TOI कि ख़बर अनुसार, करुप्पासामी अभी कुछ दिनों पहले ही एक बेहद वृद्ध महिला से मिले थे जिनके पास मास्क नहीं था और वो कोरोना वायरस के घातक संक्रमण से भी अंजान थी. 

ऐसे में करुप्पासामी ने तभी लोगों की मदद करने के बारे में मन बना लिया था. 

अपने परिवार से इस बात का ज़िक्र करने के बाद, करुप्पासामी ने अपने मई के पूरे वेतन, जो की 27,000 हज़ार रुपये थे उनसे यात्रियों के लिए 2,000 मास्क और अपनी सुरक्षा के लिए 5 PPE किट लेने का फ़ैसला किया. 

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करुप्पासामी बताते हैं, 

” जब मैंने अपनी पत्नी को इस बारे में बताया तो उसने बिना कुछ सोचे मेरा समर्थन किया. वैसे हम ख़ुद मुश्किल से ही गुज़ारा कर पा रहे थे, मगर मेरी पत्नी को इस बात पर पूरा यक़ीन था कि हम एक महीने की पगार के बिना भी घर चला लेंगे.” 

हालांकि, करुप्पासामी को अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए 10,000 रुपये की फ़ीस स्कूल में भरनी थी. मगर पिता का साथ देते हुए बच्चों ने कहां कि वो अपनी टीचर से फ़ीस आगे भरने के लिए बात करेंगे. 

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12 साल से कंडक्टर की नौकरी कर रहे करुप्पासामी कहते हैं कि 40% यात्री मास्क नहीं पहनते हैं. यदि इनमें से कोई एक भी कोरोना का मरीज़ हुआ, तो बाक़ी यात्री भी आसानी से संक्रमण का शिकार हो जाएंगे. 

ऐसे तो ये मास्क मेडिकल शॉप पर प्रति 20 रुपये के हिसाब से बिकते हैं मगर करुप्पासामी के समझाने के बाद उत्पादक ने उसे प्रति 13 रुपये में देने का निर्णय किया.