हमारे देश में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है क्योंकि आम तौर पर देखा गया है कि व्यक्ति में हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.
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तमिलनाडु के दसवीं कक्षा के एक होनहार स्टूडेंट ने एक ऐसी तकनीक खोज निकाली है, जिसकी मदद से हार्ट अटैक के खतरों की पहचान करना संभव हो पायेगा. ये तकनीक गांव में रहने वाले उन लोगों में हार्ट अटैक के खतरों की पहचान कर लेगी, जिनमें हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.
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आपको बता दें कि नई तकनीकी को ईजाद करने वाले स्टूडेंट का नाम आकाश मनोज है और ये तमिलनाडु के एक स्कूल में दसवीं में पढ़ते हैं. ‘इनोवेशन स्कॉलर्स इन-रेजीडेंस प्रोग्राम’ के लिए आकाश इन दिनों राष्ट्रपति भवन में मेहमान के तौर पर ठहरे हुए हैं. गौरतलब है कि इस प्रोग्राम के तहत नए आविष्कारकों, लेखकों और कलाकारों को एक हफ़्ते से भी ज़्यादा समय के लिए राष्ट्रपति भवन में रहने का मौका मिलता है. ‘इनोवेशन स्कॉलर्स इन-रेजीडेंस प्रोग्राम’ को पहली बार 2013 में राष्ट्रपति द्वारा लॉन्च किया गया था. इस उत्सव को नेशनल इनोवेशन फॉउंडेशन के साथ मिलकर आयोजित किया जाता है. इस साल का ये प्रोग्राम मार्च 10 को ख़त्म हो जाएगा.
राष्ट्रपति भवन में चल रहे इस प्रोग्राम में शामिल हुए आकाश मनोज ने बताया, ‘आजकल ‘साइलेंट हार्ट-अटैक’ बेहद आम हो गया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि लोगों में हार्टअटैक से जुड़ा कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है. जिनको अचानक से दिल का दौरा पड़ता है वो देखने में भी स्वस्थ्य लगते हैं, उनमें यह बीमारी अचानक उभरती है.
इसी के साथ आकाश ने बताया, ‘मेरे दादाजी भी एकदम स्वस्थ लगते थे, लेकिन अचानक ही हार्ट-अटैक आने से उनका निधन हो गया.’ दादाजी की मौत ने ही आकाश मनोज को इस बीमारी के खतरों का पता लगाने वाली इस नई तकनीक को ईजाद करने के लिए प्रेरित किया.
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आकाश बताते हैं कि यह तकनीक खून में पाए जाने वाले एफएबीपी-3 नामक प्रोटीन के विश्लेषण पर आधारित है. एफएबीपी-3 प्रोटीन की मात्रा दिल तक रक़्त की आपूर्ति में उत्पन्न होने वाली बाधाओं के संकेत देती है. इस तकनीक में खून में मौजूद एफएबीपी-3 प्रोटीन की मात्रा का समय-समय पर विश्लेषण किया जाता है.
अपनी नई खोज के बारे में बताते हुए आकाश ने कहा, ‘एफएबीपी-3 प्रोटीन शरीर में पाए जाने वाले सबसे छोटे प्रोटीनों में से एक है, जो ऋणावेशित होने के कारण धनावेश की ओर आकर्षित होता है. मेरी नई खोज इसी तकनीक पर आधारित है.
आकाश एक कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं, और वो चाहते हैं कि उनकी ये तकनीक ग्रामीण इलाकों तक भी पहुंचे, ताकि लोग अपने दिल पर कंट्रोल कर पायें और ज़रूरत पड़ने पर स्वास्थ्य संबधी मेडिकल चेकअप करवा पायें.