सपने देखने का हौसला होना चाहिए, आंखों से फ़र्क़ नहीं पड़ता है और दिल में जुनून हो तो उन्हें पूरा भी किया जा सकता है. इसकी मिसाल है तमिलनाडु के सलेम ज़िले के अथानुपट्टी गांव में रहने वाले 60 साल के ए नल्लथम्बी.
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नल्लथम्बी हालात के चलते 20 साल से कूड़ा उठाने का काम कर रहे हैं. इससे उन्होंने 11 लाख रुपये जोड़ लिए. इनमें से 10 लाख रुपये अपना सपना पूरा करने में लगा दिए. वझापाड़ी-बेलूर गांव रोड पर दो प्लॉट ख़रीदे. इसके बाद एक लाख रुपये में स्थानीय मूर्तिकार से अपनी 5 फ़ुट की एक प्रतिमा बनवाई और उसे इसी प्लॉट पर लगाया.
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नल्लथम्बी ने Times of India को बताया,
जब मैं छोटा था, तो मेरा सपना था कि मैं भी नाम कमाऊं और जैसे महापुरुषों की प्रतिमाएं लगी होती हैं, मेरी भी लगे. मैंने अपना सपना पूरा कर लिया है.
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नल्लथम्बी पहले राजमिस्त्री का काम करते थे, लेकिन घर से झगड़ा होने की वजह से उन्होंने घर छोड़ दिया. इसके बाद कूड़ा बीनने का काम करने लगे और वर्तमान में प्लास्टिक की बोतलों और अन्य रिसाइकिल उत्पादों को इकट्ठा करके रोज़ का 200 से 300 रुपये के बीच कमाते हैं.
नल्लथम्बी को अब अपनी प्रतिमा के पास लोगों की भीड़ के इकट्ठा होने और प्रतिमा का अनावरण करने का इंतज़ार है.
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कुछ दिन पहले, तमिलनाडु के मदुरै के एक 74 वर्षीय व्यापारी ने अपनी पत्नी की याद में उनकी प्रतिमा बनवाई थी.
इससे पहले, कर्नाटक के एक व्यक्ति ने नए घर के प्रवेश के दौरान अपनी दिवंगत पत्नी की प्रतिमा भी बनवाई थी.