इतिहास में कई कुख़्यात चोरियों या लूट के किस्से दर्ज हैं, जिनमें शातिर चोरों ने दिमाग़ हिला देने वाले कारनामों को अंजाम दिया. इनमें से कई चोर पुलिस के हाथों जल्द पकड़े भी गए और कई ऐसे भी हुए जिन्हें क़ानून के लंबे हाथ पकड़ नहीं पाए. इसी क्रम में हम आपको इतिहास की एक ऐसी चोरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके चोर का पता 52 साल बाद चला. इस लेख में जानिए कि उस चोर ने कैसे चोरी की और इतने सालों तक वो कहां छुपा रहा.    

एक बड़ी बैंक डकैती को दिया अंजाम 

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ये चोरी का मामला अमेरिकी राज्य ओहायो के क्लीवलैंड शहर की Society National Bank से जुड़ा है. 1969 में Theodore John Conrad नाम के शख़्स ने इस बैंक मे भारी लूट को अंजाम दिया था. US Marshals Service के अनुसार, उस दौरान कॉनरोड की उम्र मात्र 20 की थी. इस चोरी का पता 52 साल बाद चला.  

1.7 मिलियन डॉलर की चपत  

जानकारी के अनुसार, कॉनरोड ने बड़े ही साधारण तरीक़े से इस बड़ी लूट को अंजाम दिया था. जानकार हैरानी होगी कि उसने बैंक की सुरक्षा ख़ामियों का फ़ायदा उठाया और बैंक से 2 लाख 15 हज़ार डॉलर (आज के समय में 1.7 मिलियन डॉलर के बराबर) के नोटों को भूरे रंग के कागज़ के बैग में डाला और बड़े ही आराम से बैंक से बाहर आ गया. जानकारी के अनुसार, वो उस बैंक में एक Teller (ग्राहक के नकद और उससे जुड़ दस्तावेज़ों को संभालना) था.  

फ़िल्म देखकर आया था आइडिया 

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जानकर हैरानी होगी कि कॉनरोड को इस बैंक डकैती का आइडिया 1968 की ‘The Thomas Crown Affair’ फ़िल्म देखकर आया था. इसमें अमेरिकी एक्टर Steve McQueen थे और ये फ़िल्म बैंक ऱॉबरी पर आधारित थी. कहते हैं कि इस फ़िल्म को कॉनरोड ने कई बार देखा और बैंक की डकैती का प्लान बनाया.  

पैसा लेकर हो गया छूमंतर 

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कॉनरोड के हाथों पैसा लगते ही वो शहर में अपना सब कुछ छोड़कर छूमंतर हो गया था. उसके भाग जाने से पुलिस वालों का पूरा शक उसी पर गया, लेकिन वो पकड़ा नहीं गया. कॉनरोड की इस बड़ी लूट के बारे में “America’s Most Wanted” और “Unsolved Mystery” में भी बताया गया था.  

कहां रहा इतने सालों तक? 

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कहते हैं कि पैसा लेकर वो वाशिंगटन और लॉस एंजिल्स में कुछ समय तक रहा. उसने अपना नाम बदलकर थॉमस रन्डेल रख लिया था. फिर वो मामला ठंडा होने तक बोस्टन के बाहरी क्षेत्र में आकर बस गया, जहां से बैंक मात्र 100 किमी की दूरी पर थी. जानकारी के अनुसार वो 40 सालों तक एक गोल्फ़ प्लेयर और सैकंडहैंड कार डीलर बना रहा.

कैसे पता लगा पुलिस को? 

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जीते जी पुलिस कॉनरोड को पकड़ न पाई. उसके बारे में पुलिस को उसके मृत्यु संदेश से पता चला. दरअसल, अख़बार में पुलिस ने एक मृत्यु संदेश देखा, जिसमें कॉनरोड का नाम रन्डेल दिया हुआ था. फिर क्या था, पुलिस से सभी पुराने दस्तावेज़ों को हालिया दस्तावेज़ों से मिलाया, जिससे ये पता चला कि दोनों एक ही व्यक्ति हैं. तो, कुछ इस तरह पुलिस को उस पुरानी बैंक डकैती के चोर का पता लगा पाई.