15 वर्षीय रेश्मा(बदला हुआ नाम) ने कर्नाटक के एक कॉन्वेंट स्कूल में अच्छी शिक्षा के लिए प्रवेश लिया था. मूलत: मणिपुर की रहनेवाली रेश्मा ने दसवीं में दाखिला लिया था और एक गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी.

शांत स्वभाव की रेश्मा को ये नहीं पता था कि उसकी चुप्पी का ग़लत मतलब निकाला जायेगा और उसे बुरी तरह प्रताड़ित किया जायेगा.

रेश्मा ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा,

दिसंबर के आख़िरी हफ़्ते की बात है, मेरी रूममेट ने बिना किसी कारण मेरे साथ लड़ने लगी. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर वो नाराज़ क्यों है और मुझे उनकी बातें समझ नहीं आ रही थी. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती सभी लड़कियों ने मुझे घेर लिया और मुझे मारने लगी. शोरगुल सुनकर वॉर्डन आई और मुझे लगा कि वो मेरी मदद करेगी लेकिन उसने भी मुझे मारा.

ये पहली बार नहीं था जब रेश्मा के साथ इस तरह का व्यवहार किया गया था. रेश्मा ने बताया कि उसे कई बार इस तरह पीटा गया है. कारण? एक अफ़वाह, उसके लेस्बियन होने की अफ़वाह. इस अफ़वाह से वॉर्डन ने भी अपना आपा ख़ो दिया.

रेश्मा ने आगे बताया,

इस बार भी वही हुआ, लेकिन इस बार बात हद के पार हो गई. इस बार वॉर्डन ने मुझ पकड़ लिया और मेरे मुंह में लाल मिर्च पाउडर डाल दिया. मुझे बहुत जलन हुई.

रेश्मा के ज़्यादा दोस्त नहीं हैं. लेकिन जब उसके दोस्तों ने उसकी हालत देखी तो उसके भाई, राजेश(बदला हुआ नाम) को फ़ोन करके बुलाया.

राजेश ने बताया,

जब मैं मणिपुर से आया तो वॉर्डन ने कहा कि मेरी बहन ने एक लड़की को Sexually Assault करने की कोशिशे की, इसलिये सबने उसे पीटा. वो मुझे बार-बार यही कहती रही कि किस रेश्मा ने ग़लत किया. उसने ये भी कहा कि अगर रेश्मा माफ़ी मांग लेती है तो मामला दबा दिया जायेगा. लेकिन मेरी बहन ने इंकार कर दिया क्योंकि उसकी कोई ग़लती नहीं थी. फिर हमने शिकायत दर्ज करने की सोची.
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29 दिसंबर को राजेश और रेश्मा ने चाइल्ड लाइन से संपर्क किया और शिकायत दर्ज की. उसी दिन Special Juvenile Police Unit ने रेश्मा का बयान लिया और Child Rights Commission में शिकायत दर्ज की.

मंगलवार को Distrcit Child Protection Officer Kumara Swamy ने शुरुआती जांच के बाद बताया,

स्कूल की वॉर्डन का कहना है कि दूसरी लड़कियों पर रेश्मा की बुरी नज़र थी. हो सकता है वॉर्डन ने दूसरी छात्राओं को भड़काया हो. हम सोमवार को स्कूल जाएंगे और जिन छात्राओं पर मार-पीट का आरोप है उनका बयान लेंगे.

राजेश ने बताया कि वॉर्डन के नाम से ही रेश्मा की आंखों में डर झलकने लगता है.

यहां ये बताना ज़रूरी है कि अकसर गर्ल्स हॉस्टल में किसी न किसी लड़की के लिए ऐसी अफ़वाहें उड़ती हैं. कुछ दिन पहले बीएचयू के महिला महाविद्यालय के हॉस्टल से भी एक लड़की को ऐसी ही अफ़वाह के आधार पर निकाल दिया गया था. LGBTQ होना हमारे देश में ग़ैरक़ानूनी है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि अफ़वाहों के आधार पर किसी को बुरी तरह प्रताड़ित किया जाये?

Source- The News Minute