हमारा देश बहुत महान है, इसकी गाथाएं सुनाते हुए लोगों का मुंह दर्द नहीं होता. इतिहास का गुनगाण आप भारत के किसी भी कोने में जा कर सुन सकते हैं. लेकिन देशवासियों के साथ एक समस्या है. हमारा देश आज जब भी आगे बढ़ने की कोशिश करता है, हम अपनी ओछी हरकतों से उसे पीछे खींच लेते हैं. मेरी इस बात पर कई लोगों को गुस्सा आएगा. लेकिन इस ख़बर को पढ़ने के बाद आप भी मेरी भाषा बोलने लगेंगे.

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हाल ही में भारतीय रेलवे ने अपनी सबसे अत्याधुनिक ट्रेन तेजस एक्सप्रेस चलाई है, जिसमें यात्रियों के मनोरंजन के लिए टी.वी. स्क्रीन लगाई गई है और उसे सुनने के लिए हेडफ़ोन की भी सुविधा भी दी गई है. लेकिन समस्या ये है कि हम हर सुख-सुविधा को अपनी जागीर समझ लेते हैं. इस ट्रेन की पहली यात्रा के दौरान ही कई यात्रियों ने इसके हेडफ़ोन्स तक चुरा लिए.

अधिकारियों के अनुसार, मुंबई से गोवा तेजस एक्सप्रेस से अब तक 85 से ज़्यादा हेडफ़ोन्स की चोरी हो चुकी है. इसके बाद भारतीय रेलवे ने फ़ैसला लिया है कि अब वो इस ट्रेन में लगे महंगे हेडफ़ोन्स की जगह सस्ते (यानी करीब 30 रुपये) हेडफ़ोन्स लगाएगा.

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ये हमारी बहादुरी नहीं, बल्कि बेवकूफ़ी है, जो हम मिलने वाली सुविधाओं के साथ ऐसा करते हैं. भारतीय रेलवे की गंदगी के बारे में हम सब शिकायत करते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि गंदगी भी हमारी ही फ़ैलाई हुई है.

इस बार रेलवे का सस्ते हेडफ़ोन्स लगाने का फ़ैसला बिलकुल सही है, क्योंकि हमें ही शायद अच्छी चीज़ों को सम्भाल कर रखने की आदत नहीं है.