लॉकडाउन के बीच महानगरों में फंसे प्रवासी मज़दूरों का घर लौटना जारी है. बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ समेत कई अन्य राज्यों के लाखों दिहाड़ी मज़दूर भूखे-प्यासे कभी पैदल तो कभी ट्रकों की छत पर बैठकर घर लौटने को मजबूर हैं.
किसी तरह घर पहुंचने की जुगत में इन प्रवासी मज़दूरों को इस दौरान भोजन मिल जाता है तो खा लेते हैं, वरना 2 से 3 दिन तक भूखे ही पैदल चलना पड़ता है. हालांकि, इस दौरान कई लोग मदद के लिए आगे भी आ रहे हैं, लेकिन प्रवासी मज़दूरों की संख्या अधिक होने के चलते सभी को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है.
100 शिक्षकों की नेक पहल
इस बीच तेलंगाना के 100 शिक्षकों के एक ग्रुप ने नेशनल हाईवे से पैदल घर जा रहे प्रवासी मज़दूरों को भोजन के साथ ही जूते-चप्पल बांटने का नेक कार्य शुरू किया है. मंडल शिक्षा अधिकारी, बट्टू राजेश्वर के मार्गदर्शन में ये शिक्षक पिछले कुछ दिनों से निज़ामाबाद के पास पर्किट जंक्शन पर प्रवासी मज़दूरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं.
From food to footwear: 100 teachers join forces for those walking the highway https://t.co/LSTUcqFiOb
— TOI Hyderabad (@TOIHyderabad) May 16, 2020
Times of India से बातचीत में मंडल शिक्षा अधिकारी बट्टू राजेश्वर ने कहा कि जब हमने ये नेक पहल शुरू की थी तब हम प्रतिदिन लगभग 700 प्रवासियों को भोजन वितरित कर रहे थे, लेकिन अब प्रवासियों की संख्या बढ़कर 3000 हो गई है.
बट्टू राजेश्वर आगे कहते हैं कि, हमने इस कार्य के लिए पेशेवर रसोइयों को नियुक्त किया है, जो हर दिन अलग-अलग तरह का भोजन तैयार करते हैं. जिसे सभी शिक्षकों द्वारा वितरित किया जाता है.
इस कार्य के लिए हमें प्रतिदिन लगभग 20,000 रुपये ख़र्च करने पड़ते हैं. इस दौरान प्रत्येक शिक्षक अपनी जेब से कुछ न कुछ योगदान देता है.
इस कठिन समय में प्रवासी मज़दूरों की मदद करना हमारा फ़र्ज़ है.