मध्यप्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया है जिसके फलस्वरूप किसी भी दस साल से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार या सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में अब अपराधी को फांसी की सज़ा तक सुनाई जा सकेगी.

खबरों के मुताबिक़, शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने रेप या गैंग रेप जैसे जघन्य अपराध के मामलों में दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए कड़ा कानून बनाने की फैसला किया है. एमपी सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में इससे जुड़ी दंड विधि में संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके लिए पूरा ख़ाका तैयार कर लिया गया है, जिसे कल यानि मंगलवार को सीएम चौहान की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा.
इस मसौदे, जिसे विधि विशेषज्ञों सहित अन्य सभी पक्षों से चर्चा के बाद विधि एवं विधायी विभाग के द्वारा तैयार किया गया है को वरिष्ठ सचिव समिति की मंज़ूरी मिल चुकी है. इस पर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दस साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में 14 साल और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सजा होगी. अधिकतम सज़ा फांसी तक दी जा सकेगी. अधिकारियों ने कहा कि बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपी को आजीवन कारावास की जो सज़ा सुनाई जायेगी वो 14 साल की नहीं, बल्कि पूरी ज़िन्दगी की होगी.

इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर महिला की बेइज्जती करने, छेड़खानी, पीछा करने, फब्तियां कसने और आपत्तिजनक इशारा करने जैसे मामलों में भी सख़्त सज़ा का प्रावधान होगा.
वहीं अधिकारियों ने ये भी बताया कि इस तरह के अपराधों पर लगने वाली भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं धारा 354 ए, 354बी, 354सी, 354डी में जमानत देने से पहले अदालत लोक अभियोजक का पक्ष ज़रूर सुनेगी.
इसके अलावा एक और क़ानून लाने की तैयारी में है एमपी सरकार जिसके अंतर्गत शादी का झांसा देकर किसी भी महिला पार्टनर के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहना भी महंगा पड़ सकता है. अगर महिला पार्टनर पुलिस थाने में सेक्सुअल हरेसमेंट की शिकायत दर्ज कराती है तो इसमें 7 साल तक की सज़ा हो सकती है. इसके लिए आइपीसी, सीआरपीसी की धाराओं में बदलाव कर 493 ए नई धारा भी प्रस्तावित की गई है.
ध्यान देने वाली बात है कि इसी साल मार्च महीने में मध्य प्रदेश के मुख्यनंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा के लिए विधेयक लाने का ऐलान किया था और अब उनकी सरकार इसका ड्राफ़्ट तैयार कर चुकी है, बस इसके पारित होने की देर है.
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