विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में शुमार भारत के गर्भ में आज भी कई ऐसी सांस्कृतिक धरोहरें मौजूद हैं, जो सालों से लोगों की मदद करती आई हैं. बाओलियां भी भारत की ऐसी ही सांस्कृतिक धरोहर हैं, इनके अनूठे आर्किटेक्चर की वजह से इन्हें काफ़ी चर्चा मिली हैं. बाओली दरअसल कुएं से जोड़ने वाली सीढ़ियां है और देश भर में ये आज भी भारत के समृद्ध कल्चर का नायाब नमूना हैं.

इन बाओलियों को कई फिल्मों में भी देखा जा चुका है. न केवल ये देखने में बेहद खूबसूरत हैं, बल्कि अपने उत्कृष्ठ निर्माण की वजह से ये लोगों को सालों से पानी भी मुहैया करा रही हैं
यूं तो देश में विभिन्न शहरों में इन बाओलियों को देखा जा सकता है लेकिन मध्य प्रदेश इस मामले में दूसरे शहरों से काफी आगे है. मध्य प्रदेश में मौजूद चंदेरी न केवल अपनी सिल्क साड़ियों के लिए मशहूर है, बल्कि 1200 बाओलियों के लिए भी प्रसिद्ध है.
चकला बाओली

चकला बाओली के बारे में कहा जाता है कि इन्हें 16वीं शताब्दी में बनाया गया था. देखने में बेहद चौड़ी इन बाओलियों का स्थानीय लोग भी उपयोग करते हैं. जहां महिलाएं यहां आकर कपड़े धोती हैं, वहीं कई युवाओं के लिए ये एक डाइविंग स्पॉट बन गया है.
बत्तीसी बाओली

बत्तीसी बाओली के नाम के पीेछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है. यहां मौजूद कुएं में पहुंचने से पहले आपको 32 सीढ़ियां उतरनी पड़ती है. इसी से इसका नाम बत्तीसी पड़ गया है
इसकी गहराई कम से कम चार बिल्डिंग के फ्लोर जितनी है. ये बावली पुरातात्त्विक विभाग के समक्ष आती है, इसलिए इसे लोगों के इस्तेमाल से सुरक्षित रखा गया है.
मूसा बाओली

अपनी अनोखी वास्तु कला के लिए मशहूर मूसा बाओली को चकला बावली की तरह ही स्थानीय लोग इस्तेमाल कर सकते हैं और यहां कई बार लोगों का तांता भी लगा रहता है
भारत में रहस्यमयी आकृतियों से लैस बाओलियों में मौजूद पानी से न केवल हज़ारों परिवारों को फायदा पहुंचता है बल्कि ये भारत की संस्कृति और सभ्यता का बेजोड़ उदाहरण है.