दुनिया में ब्रह्मांड के अस्तित्व को लेकर नए राज़ का खुलासा हो सकता है. खगोलशास्त्री दरअसल पहली बार ब्लैक होल की तस्वीर लेने में कामयाब हुए हैं. वही ब्लैक होल, जिसके बारे में अब तक सिर्फ़ कल्पना की जाती रही है कि अंतरिक्ष में कोई जगह ऐसी भी है.
हवाई से लेकर अंटार्टिका और स्पेन में टेलिस्कोप्स का जाल बिछा कर लगातार पांच रातों तक अंतरिक्ष में नज़र रखने के बाद खगोलशास्त्रियों को यह सफ़लता मिली है.
वैज्ञानिक इस काम में सफल रहते हैं, तो उन्हें इस ब्रह्मांड के निर्माण से जुड़े रहस्य को समझने में काफी मदद मिलेगी. अगर उनकी यह कोशिश रंग लाती है, तो ब्रह्मांड किस चीज़ से बना और कैसे अस्तित्व में आया जैसे अहम रहस्यों को सुलझाने में मदद मिलेगी.
इवेंट होराइज़न टेलिस्कोप प्रोजेक्ट दरअसल शक्तिशाली Radio Observatories का एक श्रृंखला समूह है. एक बार जुड़ने के बाद ये एक विशालकाय टेलिस्कोप में तब्दील हो जाते हैं.
वैज्ञानिकों ने इन शक्तिशाली रेडियो टेलिस्कोप को आकाश में दो छोटे बिंदुओं की तरफ़ केंद्रित किया है. इनमें से एक बिंदु Sagittarius A* पर है. ये दरअसल एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है जो हमारी आकाशगंगा के बीचों-बीच स्थित है. वहीं दूसरा बिंदु M87 ब्लैकहोल हमारे सोलर सिस्टम के पास मौजूद एक आकाशगंगा के बीचों-बीच स्थित है.
यह वर्चुअल टेलिस्कोप इतना ताकतवर है कि चांद की सतह पर पड़ी एक गोल्फ़ बॉल को भी देख सकता है. इतिहास में यह पहला मौका है जब हमारे पास एक ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से हम ब्लैक होल को विस्तार और बारीकी से देख सकते हैं.
माना जा रहा है कि जो तस्वीर मिली है, उसे अभी डेवेलप करने में महीनों का समय लगेगा. यह तस्वीर अभी अमेरिका और जर्मनी की प्रयोगशाला में है.इन दोनों प्रयोगशालाओं में सुपर कंप्यूटर मौजूद हैं, जिनसे भरपूर मात्रा में डाटा को निकाला जा सकता है. हालांकि इसके बावजूद 2018 के शुरुआती महीनों से पहले इन तस्वीरों को देख पाना मुश्किल होगा.
ब्लैक होल वास्तव में कोई छेद नहीं है, यह तो मरे हुए तारों के अवशेष हैं. करोड़ों, अरबों सालों के गुज़रने के बाद किसी तारे की ज़िन्दगी खत्म होती है और ब्लैक होल का जन्म होता है. यह तेज़ और चमकते सूरज या किसी दूसरे तारे के जीवन का आखिरी पल होता है और तब इसे सुपरनोवा कहा जाता है. तारे में हुआ विशाल धमाका उसे तबाह कर देता है और उसके पदार्थ अंतरिक्ष में फैल जाते हैं. इन पलों की चमक किसी गैलेक्सी जैसी होती है.
सभी तारे मरने के बाद ब्लैक होल नहीं बनते. पृथ्वी जितने छोटे तारे तो बस सफेद छोटे-छोटे कण बन कर ही रह जाते हैं. रहस्यमय ब्लैक होल को सिर्फ उसके आस-पास चक्कर लगाते, भंवर जैसी चीज़ों से पहचाना जाता है. इस तस्वीर के सामने आने के बाद ब्लैक होल से जुड़े मिथकों को भी तोड़ा जा सकेगा.