रेडिट पर अपलोड किए गए एक कार्टून पर हमारी नज़र पड़ी
एनडीए यानि नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइंस का नामकरण किया आर्टिस्ट Remy Fernandes ने. इसी तर्ज़ पर रेडिटर्स भी एनडीए के अलग-अलग फ़ुलफ़ॉर्म बनाने लगे.
सरकार मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही हर मामले पर ‘नो डेटा, डेटा नहीं है’ का रटन लगाई हुई है.
कोविड- 19 पैंडमिक के मद्देनज़र मार्च में केन्द्र सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया था. इस बग़ैर सोचे-समझे निर्णय के बाद हमने देखा मज़दूरों का घर की तरफ़ जाना, मज़दूरों की भयंकर मौत, हेल्थ वर्कर्स की शहीदी, आत्महत्याएं, लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा बुरा प्रभाव औ इस सबके ऊपर कोरोना के फैलते पांव.
सरकार ने हमारे ऊपर हर संभव रोक लगाने का प्रयास किया, जिसे राष्ट्रहित में हमने माना लेकिन अब पता चल रहा है कि सरकार के पास ही कोई लेखा-जोखा नहीं है.
कुछ दिन पहले ही श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने संसद में बताया कि उनके पास मज़दूरों की मौत का या उनकी नौकरियां जाने का कोई डेटा नहीं है. क्योंकि कोई डेटा नहीं है इसलिए मुआवज़े की रक़म का भी सवाल नहीं उठता.
बीते कुछ दिनों में सरकार ने स्वीकारा के उनके पास निम्नलिखित घटनाओं का डेटा नहीं है.
1. लॉकडाउन के दौरान मारे गए मज़दूरों का
संसद में सरकार से सवाल किया गया था कि क्या उनके पास लॉकडाउन के दौरान अपने घर को जा रहे कितने मज़दूर घायल हुए या मारे गए? सरकार ने कहा कि उनके पास कोई डेटा नहीं है. क्योंकि डेटा नहीं है इसलिए मुआवज़े का भी सवाल नहीं उठता, सरकार ने मुआवज़े पर उठाए गए सवाल पर ये जवाब दिया.
2. बंद हुए उद्योगों का
Minister of State MSME, प्रताप चंद्र सड़ंगी ने राज्य सभा में लिखित जवाब देते हुए कहा कि उनके पास वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान बंद हुए MSME का कोई डेटा नहीं है.
3. डॉक्टर्स की मृत्यु का
कोविड- 19 से लोगों की जान बचाते हुए कितने डॉक्टर मारे गए सरकार के पास इसका भी कोई डेटा नहीं है. IMA (इंडियन मेडिकल एसोशिएशन) डेटा के मुताबिक़, 2,238 डॉक्टर्स कोविड- 19 पीड़ित हुए जिसमें से 382 डॉक्टर्स की जान गई.
4. सफ़ाईकर्मियों की मौत का
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ने राज्य सभा में बताया कि उनके पास कोविड- 19 पैंडमिक के दौरान काम करते हुए कितने सफ़ाईकर्मी मारे गए इसका डेटा नहीं है.
5. प्लाज़मा बैंक का
सरकार से सवाल किया गया था कि क्या उनके पास देश में चल रहे प्लाज़्मा बैंक का कोई डेटा है. सवाल का जवाब देते हुए मिनिस्टर ऑफ़ स्टेट, अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि सरकार के पास ऐसा कोई डेटा नहीं है.
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6. पुलिसकर्मियों की मौत का
गृह मंत्रालय ने सेन्टर को बताया कि उनके पास कोविड- 19 से मारे गए पुलिसकर्मियों का कोई डेटा नहीं है.
7. पुलिस सख़्ती का
गृह मंत्रालय ने राज्य सभा को बताया कि उनके पास लॉकडाउन के दौरान पुलिस द्वारा बरती गई सख़्ती के कारण आम लोगों को पहुंची चोट का या आम लोगों की हुई मौत का कोई डेटा नहीं है.
8. छात्रों की आत्महत्या का
डीएमके सांसद कनिमोज़ी ने सरकार से सवाल किया था कि क्या उनके पास लॉकडाउन में कितने छात्रों ने ख़ुदकुशी की, इसका कोई डेटा है. सरकार ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उनके पास कोई डेटा नहीं है.
किसी समस्या की गंभीरता को समझने के लिए डेटा बहुत ही ज़रूरी है और सरकार के पास ज़रूरी आंकड़े ही नहीं हैं. ये न सिर्फ़ सरकार की ग़ैर-ज़िम्मेदाराना हरक़त को दर्शाता है पर कई सवाल भी खड़े करता है. क्या ये सब इंसान मायने नहीं रखते थे या ये समस्याएं?