‘निर्भया’ को कुछ दिनों पहले न्याय मिल गया. निर्भया के गुनहगारों की फांसी की सज़ा सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी और हम बलात्कार के मामले में एक ऐतिहासिक फ़ैसले के साक्षी बने.

अगर आपको याद हो, तो निर्भया के 6 गुनहगार थे. 4 को फांसी की सज़ा हुई और एक आरोपी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी.

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भारतीय न्याय संहिता ने 1 आरोपी को बरी कर दिया था. क्योंकि भारतीय दंड संहिता के अनुसार, 18 साल से कम के किसी भी आरोपी के लिए सज़ा का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि अब इस नियम में भी बदलाव किए गए हैं.

निर्भया का दोषी, 17 साल कुछ महीने का था, इसलिए छूट गया. उसे बाल सुधार गृह भेजा गया था.

सवाल ये है कि दिल्ली कांड का दोषी अब कहां है?

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एक NGO ने जानकारी दी है कि निर्भया का दोषी नए सिरे से ज़िन्दगी की शुरुआत की है. उसने अपना नाम भी बदल लिया है.

16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली की सड़कों पर सफ़ेद बस में जो हुआ, उससे आज तक हमारी रूह कांप जाती है. जिस दरिंदे को Juvenile होने के कारण छोड़ दिया गया था, कहा जाता है कि उसने निर्भया के साथ सबसे ज़्यादा दरिंदगी की थी. हालांकि इस बात का कोई सुबूत नहीं है. निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए पूरा देश सड़कों पर उतर गया था.

गोपनीयता की शर्त पर NGO से जुड़े अधिकारी ने कहा,

‘हमें उसे दिल्ली से काफ़ी दूर भेजना पड़ा, ताकि उसे कोई ढूंढ न सके. ज़िन्दगी की नई शुरुआत के लिए ये बहुत ज़रूरी था. उसने दक्षिण भारत में खानसामे का काम शुरू किया है. हम उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ़्ट करते रहे, ताकि उस पर किसी का ध्यान न जाए.’

Juvenile जिस जगह पर काम कर रहा है, वहां उसका असली नाम कोई नहीं जानता, न ही उसकी पिछली ज़िन्दगी के बारे में किसी को कुछ पता है.

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NGO अधिकारी का मानना है कि मीडिया ने ही Juvenile को दरिंदा बना दिया. वो कोर्ट की कार्यवाही के वक़्त भी मौजूद थे.

Juvenile Justice Board द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक,

‘ये कहीं से भी साबित नहीं होता कि Juvenile ने निर्भया के साथ सबसे अधिक दरिंदगी दिखाई थी.’

ये तो वही बात हो गई कि बलात्कारी कहे, ‘मैंने बस थोड़ा सा बलात्कार किया था. ज़्यादा नहीं.’

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कोर्ट की बात पर सवाल उठाना न्यायालय की अवमानना करना होगा. पर कम से कम कोई अच्छी सी वजह तो दी होती दोषी को रिहा करने की!

खैर हम बस उम्मीद कर सकते हैं कि Juvenile अब किसी का बलात्कार न करे.

निर्भया केस के बाद ही देश में बलात्कार से जुड़े नियमों में भारी बदलाव किए गए. हालांकि बलात्कारों में बहुत ज़्यादा कमी नहीं आई है.

Source: India Times