फ़ोटोग्राफ़र पाओला पेरेदेस ने सबसे पहले दुनिया का ध्यान अपनी उन तस्वीरों से खींचा था, जब उन्होंने परिवार को अपने समलैंगिक होने की बात बताई थी. पाओला अब अपनी नई फ़ोटो सीरीज़ के साथ वापस आ गयी हैं . वे इन तस्वीरों के ज़रिए कई नए खुलासे करने जा रही हैं. Until You Change नाम की इस नई सीरीज़ में वो इक्वा़डोर के एक रिहाब के कारनामों को सामने लाने में कामयाब रही हैं.

इक्वाडोर का ये Rehab समलैंगिकता से ग्रस्त लोगों का ‘इलाज’ बेहद क्रूरता से करने के लिए जाना जाता है. इस रिहाब में समलैंगिक लोगों को ‘ठीक’ करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं. इन लोगों को भूखा रखा जाता है, इन्हें प्रताड़ित किया जाता है और कई बार इलाज के बहाने यहां महिलाओं का शोषण भी होता है.

आधिकारिक तौर पर ये क्लीनिक ड्रग्स और शराब के आदी लोगों को नशा छुड़ाने के लिए हैं, लेकिन Rehab की आड़ में ये जगह Homphobic हो चुकी है और ट्रांसजेंडर्स और समलैंगिक लोगों पर अत्याचार के लिए जानी जाती है.

पाओला के मुताबिक, जब वे अपने आपको आतंरिक और सेक्सुशल तौर पर एक्सप्लोर कर रही थीं, तब उन्हें इस क्लीनिक के बारे में पता चला था. इस घटना ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था.

जब उन्हें ये ख़्याल आया कि समलैंगिक होने की वजह से उन्हें भी इस क्लीनिक में कैद किया जा सकता है, उसी समय उन्होंने निश्चय कर लिया कि वे इन क्लीनिक्स की सच्चाई को दुनिया के सामने रखेंगी.

यही कारण था कि इस क्लीनिक में होने वाले गोरखधंधे के बारे में उन्होंने पता लगाने का फ़ैसला किया. वे अंडरकवर बन कर इस क्लीनिक में दाखिल हुईं. उन्होंने एक माइक्रोफ़ोन को छिपाया और अपने माता-पिता के साथ वे एक ऐसे ही एक क्लीनिक में आ गईं.

पाओला की इस फ़ोटो सीरीज़ का मकसद है, इक्वाडोर से लेकर यूरोप, अमेरिका और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में Homophobia को लेकर अवगत करना है.

तस्वीर में मौजूद इस महिला को बाथरुम में सफ़ाई करते वक्त बेहद एहतियात बरतनी पड़ती है. उसे टूथब्रश से फ़्लोर को साफ़ करना पड़ता है. कोई भी गलती हो जाने पर उसके हाथों को टॉयलेट के अंदर ज़बरदस्ती डाला जाता है.

इस महिला को नहाने के लिए अधिकतम सात मिनट समय मिलता है. ये समय घटकर चार मिनट भी हो सकता है. नहाने के बाद इसे घंटो कैथोलिक म्यूज़िक सुनना पड़ता है, एल्कोहॉलिक एनोनमस लिटरेचर के बारे में पढ़ना पड़ता है और अपनी समलैंगिक समस्या के लिए थेरेपी लेनी पड़ती है.

कई युवा इक्वाडोरियन महिलाओं का दावा है कि समलैंगिकता के इलाज के बहाने इन क्लीनिक के कर्मचारी लड़कियों के साथ रेप करते हैं. इसके लिए कई महिलाओं को ड्रग देने के बाद बेहोशी की हालत में उनके साथ रेप किया जाता है.

पुरुष थेरेपिस्ट्स के सामने इन महिलाओं को न चाहते हुए भी मेकअप, शॉट स्कर्ट और हील्स में घूमना पड़ता है. ये इन महिलाओं के लिए भावनात्मक तौर पर बेहद तकलीफ़देह होता है.

इस लड़की को क्लीनिक के कर्मचारियों ने नोट्स पास करते हुए देखा था. इसी के चलते उसे फ़ौरन थेरेपी रूम ले जाया गया. जब वो वापस आई, तो तेज़ आवाज़ में धार्मिक संगीत चलाया जा रहा था. थेरेपिस्ट ने महिला को छाती पर मारा, ठंडे फर्श पर उसे घुटनों के बल बैठने को कहा गया और हाथों में भारी भरकम बाइबिल थमा दी गई.

खाने से मना करने का मतलब होता है स्टाफ़ की अथॉरिटी के खिलाफ़ आवाज़ उठाना. इस महिला ने जब ऐसी ही ज़ुर्रत करनी चाही तो उसे एक कर्मचारी ने हिंसक होते हुए उसे लात मारी और बाकी महिलाओं के लिए उदाहरण पेश किया.

इक्वाडोर में ऐसी करीब 200 जगहें हैं जहां समलैंगिक, ट्रांससेक्शुएल महिलाओं का ‘इलाज’ किया जाता है. दुर्भाग्य से ये सेंटर धड़ल्ले से चालू हैं. ड्रग एडिक्टस् को ठीक करने की आड़ में यहां ट्रांसजेंडर्स और समलैंगिक लोगों पर अत्याचार किया जाता है.

यहां खाना भी औसत से कम दर्जे का है. यहां महिलाओं को कई बार कुछ ऐसा पिलाया जाता है जिनके बारे में उन्हें कुछ पता नहीं होता. सेंटर में मौजूद कई महिलाओं को शक है कि उनकी कॉफ़ी या चाय में टॉयलेट पानी, क्लोरिन जैसी चीज़ें मिली होती हैं.

इस लड़की को केबल टीवी की तार से मारा गया था, क्योंकि इस महिला ने अपना बैग कुर्सी से नहीं उठाया था.

इस महिला को सबसे पहले तब बांधा गया था जब इस लड़की के मां-बाप ने सेंटर लाने के लिए इसे किडनैप करवाया था. एक बार क्लीनिक पहुंचने के बाद इस विद्रोही लड़की को कई बार बेड से बांधा जा चुका है.

इस जगह कैद महिलाएं कई घंटे सफ़ाई में बिताती हैं. बाथरूम, ऑफ़िस, कॉरीडोर, किचन की सफ़ाई इन महिलाओं को ही करनी पड़ती है.

अगर यहां मौजूद स्टाफ़ सफ़ाई से संतुष्ट नहीं होता है, तो वे इन महिलाओं को बेइज्ज़त करते हैं या उनके साथ मार पीट करते हैं. पाओला को उम्मीद है कि उनकी इस फ़ोटो सीरीज़ के बाद सरकार इन महिलाओं की मदद के लिए आगे आएगी.