कोई आराम से लेटकर मोबाइल चला रहा हो. सोशल मीडिया पर चलने वाली घटनाएं, लोगों के कमेंट्स और तरह-तरह के फ़नी वीडियो देखकर हंस रहा हो. सोशल मीडिया पर बहुत सी न्यूज़ उसक़ी नजरों से गुज़र रही हों…. ‘भारत में कोरोना का पहला मरीज़ मिला’. ‘कोरोना ने दी भारत में दस्तक’. ‘भारत में कोरोना से पीड़ित पहला मरीज़ केरल में’.

अचानक वॉट्सएप पर एक मैसेज आए और उसको पता चले कि पूरे देश में जो ख़बर आग की तरह फ़ैल रही है, वो ‘कोई’ और नहीं बल्कि वो ख़ुद है तब?

जी हां. ये महज़ इमैजिनेशन नहीं है. कुछ ऐसा ही भारत में कोरोना से संक्रमित पहले मरीज के साथ भी हुआ था.

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असली नाम नहीं बता सकते इसलिए आप राफ़िया बुला सकते हैं. उम्र महज़ 20 साल. केरल की रहने वाली राफ़िया चीन के वुहान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, राफ़िया पिछले तीन साल से चीन के वुहान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थीं. सेमेस्टर एग्ज़ाम हो चुके थे, 9 जनवरी तक उसकी क्लास थी. फ़िर सभी चार हफ्ते की छुट्टी पर जाने वाले थे.

सब सामान्य था. लेकिन 20 जनवरी तक अचानक ही चीन और पूरी दुनिया में कोरोना को लेकर कोहराम मच गया. हर तरफ़ ख़बर फ़ैल गई थी कि ये बीमारी तेजी से फ़ैल रही है. हर कोई वहां से निकलना चाहता था. राफ़िया ने तुरंत चीन छोड़ने का फ़ैसला किया. शहर बंद हो इसके पहले ही वो वहां से निकल गई. फ़्लाइट बुक की और कोलकाता एयरपोर्ट पहुंच गई और वहां से केरल.

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अब तक सबकुछ ठीक चल रहा था. कोलकाता और केरल एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग से गुज़री. वायरस के कोई भी लक्षण नहीं थे.

अगले दिन भारतीय दूतावास से मैसेज आया कि जो लोग चीन से वापस आए हैं वो मेडिकल परीक्षण करवा लें. राफ़िया ने ऐसा ही किया. उसने ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी से मुलाक़ात की. उसका परीक्षण हुआ और सब ठीक निकला.

राफ़िया के लिए भी ये कोई बड़ी बात तो नहीं थी. क्योंकि उसे अब तक कोई परेशानी भी नहीं हुई थी. ऐसा कुछ उसे महसूस नहीं हुआ था कि उसे कुछ दिक्कत हो रही हो. लेकिन 27 जनवरी की सुबह रोज़ की तरह नहीं थी.

राफ़िया जब सुबह उठी तो उसे अपना गला कुछ ख़राब लगा. उसने डॉक्टरों से जांच कराई. डॉक्टरों ने उसे भर्ती किया, जहां चार लोग और भी थे. परीक्षण शुरू हुए और राफ़िया अपनी रिपोर्ट्स का इंतज़ार करने लगी. एक-एक करके वो चार लोग जो उसके साथ भर्ती थे, डिस्चार्ज हो गए. लेकिन राफ़िया की रिपोर्ट्स को लेकर कोई जवाब नहीं आया था.

फ़िर राफ़िया के फ़ोन पर एक मैसेज आया. ये मैसेज एक टीवी न्यूज़ की रिकॉर्डेड क्लिप थी, जिसे उसके दोस्त ने वॉट्सएप पर भेजा था. न्यूज़ में एक मेडिकल स्टूडेंट के बारे में बताया जा रहा था, जो कि हाल ही में चीन से केरल लौटी है और कोरोना वायरस से संक्रमित है.

जो ख़बर डॉक्टरों से मिलनी थी, राफ़िया को वो एक न्यूज़ क्लिप के ज़रिए पता चली. उसे देर नहीं लगी ये समझने कि कोरोना से संक्रमित पहली मरीज़ कोई और नहीं बल्कि वो ख़ुद है. 30 जनवरी को राफ़िया को भारत की पहली कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज़ घोषित किया गया.

हालांकि, डॉक्टरों ने जब उन्हें बीमारी के बारे में बताया तो वो घबराई नहीं, क्योंकि उन्हें यकीन था कि उनका इम्यून सिस्टम कोरोना को मात दे देगा. उन्हें पता था कि इस बीमारी से पीड़ित बहुत से लोगों का सफ़ल इलाज़ हो चुका है. अगले 20 दिनों तक राफ़िया चार दीवारों तक सीमित रही. राफ़िया के साथ-साथ उनका परिवार अभी भी अपने घर में ही बंद है, जो कुछ दिनों तक जारी रहेगा.

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राफ़िया भी तब तक बाहर नहीं आना चाहतीं, जब तक वो इस बीमारी को पूरी तरह मात नहीं दे देती. क्योंकि वो नहीं चाहती हैं कि उनका परिवार और दोस्त इस वायरस से संक्रमित हों.