कोविड19 की कारण देशभर में जारी लॉकडाउन ने भूखमरी, गर्मी, थकान आदि कई कारणों से कई मज़दूरों की जान ले ली. यातायात न मिलने की सूरत में मज़दूर पैदल, ट्रक में सामान के साथ, सीमेंट मिक्सर के अंदर और कई ख़तरनाक साधनों का प्रयोग करते देखे गए.
कहीं कोई बच्ची 7 दिन साईकिल चलाकर अपने पिता को घर पहुंचाती दिखी, कहीं कोई गर्भवती सड़क पर बच्चे को जन्म देकर फिर पैदल चलते दिखी. सरकार के द्वारा उठाए कई क़दम, की गई व्यवस्थाएं खोखली साबित हुईं. हम में से ही कुछ लोगों ने मज़दूरों की सहायता करने की कोशिश की. देश के कई हिस्सों में मज़दूरों को खाना खिलाते घर पहुंचाते लोग दिखे.
हमने कई मज़दूरों की बेरहम मौतें भी देखीं, औरंगाबाद का ट्रेन हादसा हो या औरेया का ट्रक हादसा.
कभी-कभी लंबी-चौड़ी बहस, बड़ी-बड़ी बातें, उम्दा दलीलें वो काम नहीं कर पातीं जो एक तस्वीर या कुछ सेकेंड्स का वीडियो कर देता है. कुछ दिनों पहले एक बेहद मार्मिक वीडियो हमारे सामने आया जिसमें एक महिला बिहार के मुज़्फ़्फ़रपुर स्टेशन पर मृत पड़ी है. उसका छोटा बच्चा, उस चादर को बार-बार उठा रहा है जिससे महिला के मृत शरीर को ढका गया था. उस नन्हीं सी जान को भला कैसे पता होगा कि ममता का वो आंचल उसके सिर से उठ चुका है.
वो वीडियो, वो बच्चा हम सब की स्मृतियों का हिस्सा बन चुका है, प्रशासन के ‘उठाए गए क़दमों’ का सुबूत बन चुका है. मृत अरवीना ख़ातून अपने पीछे, 4 वर्षीय अरमान और 18 महीने के रहमत को छोड़ गईं.
The Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, ये दोनों बच्चे अपने नाना-नानी शैरून और वोका मीर के पास कटिहार के एक गांव में हैं. अरवीना के पति ने उसे, लगभग 2 साल पहले छोड़ दिया था.
अरवीना के पति के भाई, मोहम्मद वज़ीर ने अपने आखों के सामने उसकी मौत देखी थी. अरवीना उसी के साथ घर लौट रही थी. मोहम्मद वज़ीर का कहना है कि अरवीना को अपनी आंखों के सामने मरने का दृश्य उसे बहुत परेशान करता है.
मोहम्मद वज़ीर का आरोप है कि अरवीना की मौत भूख से हुई. उन लोगों ने 23 मई को अहमदाबाद से ट्रेन लिया था. अरवीना के परिवार का कहना है कि अरवीना का शरीर बिना पोस्टमार्टम के ही उन्हें लौटाया गया. न ही कोविड19 परीक्षण के लिए सैंपल लिया गया.
रेलवे पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में मौत की वजह ‘प्राकृतिक कारणों’ को बताया है. चश्मदीदों के बयान के आधार पर ‘फ़ूड पॉयज़नींग’ को भी मौत का संभावित कारण बताया गया. वहीं कटिहार के अधिकारियों का कहना है कि परिजनों ने बिना सूचित किए मृतक को दफ़ना दिया इसलिए पोस्टमार्टम नहीं किया गया.
मैं उस दिन सही स्थिति में नहीं था मुझे पता नहीं था कि मैं क्या बोल रहा हूं. हमने अहमदाबाद में, 23 मई को खाना खाया था, उसके बाद हमने 25 मई को मुज़्ज़फ़्फरपुर में खाना खाया.
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अरवीना के माता-पिता के लिए अपनी बेटी की मौत पर यक़ीन करना मुश्किल हो रहा है.
बिहार सोशल वेल्फ़ेयर डिपार्टमेंट ने अरवीना के माता-पिता को हर महीने 4000 रुपये देने का, मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मदद करने का और मुख्यमंत्री फ़ैमिली बेनिफ़िट स्कीम के तहत 20,000 देने का आश्वासन दिया है. विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव से भी इस परिवार को 5 लाख की मदद मिली है.