देश के अन्य शहरों की तरह लखनऊ भी अब बदल रहा है. शहर के अंदर अब मेट्रो दाखिल हो चुकी है. जिन शहर वासियों की दोपहरें कभी अमीनाबाद की गलियों में ख़रीदारी करते और शामें सड़क-चौराहों पर कबाब, चाट और कुल्फ़ी खाते गुज़रती थीं, आज वही लोग बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स, शॉपिंग मॉल और फ़ूड कोर्ट्स में टहलते दिख जाएंगे.
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हालांकि, लखनऊ आज भी कई समय को अपने भीतर समेटे है. यहां तेज़ रफ़्तार मेट्रो यकीनन आ चुकी है, लेकिन ‘इक्का गाड़ी’ भी रूमी गेट पर शान की सवारी की तरह अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है. आज हम आपको लखनऊ के उन ठिकानों के बारे में बताएंगे, जो शहर में तमाम बदलावों के बावजूद भी अपनी एक ख़ास जगह बनाए हुए हैं.
1.जनपथ मार्केट
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इस जगह को शहर का दिल कहा जाता है. शहर में मॉल की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, फिर भी लोग ख़रीदारी के लिए ‘जनपथ मार्केट’ जैसी जगहों पर ही जाना पसंद करते हैं. हज़रतगंज में स्थित ये मार्केट लखनऊ में सबसे ज़्यादा घूमी जाने वाली जगहों में से एक है और आज भी युवाओं में लोकप्रिय है.
चाहें चिकन के कपड़े हों या इत्र या फिर ज्वेलरी, यहां हर चीज़ मिलेगी. साथ ही ये जगह अपने स्ट्रीट फ़ूड के लिए भी अलग पहचान रखती है.
2. गोल दरवाज़ा
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चौक चौराहे का हर गोल दरवाज़ा लखनवी तहज़ीब का गवाह है. लखनऊ की शान कहलाने वाला चिकन हो या फिर सर्राफ़ा मार्केट, यहां तमाम बेहतरीन सामान मिल जाएगा. सर्दियों के मौसम में तो यहां ख़रीदारी करने में अलग ही मज़ा आता है. दरवाज़े पर ही चौक का फ़ेमस मक्ख़न लगता है, जिसको खाए बिना शहर वालों के लिए सर्दियां पूरी नहीं हो सकतीं.
यहां ज़री-ज़रदोज़ी के बेहतरीन कारीगरी भी मिलती है. वहीं, फूल वाली गली से आती महक वाकई में इस शहर में खड़े होने का असली मज़ा देती है.
3. अकबरी गेट
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अगर कम समय में पूरी तरह से लखनऊ को समझना चाहते हैं, तो बस गोल दरवाज़े से दाखिल होकर ‘अकबरी गेट’ तक चले जाएं. आप लखनऊ को समझ जाएंगे. क्या बेहतरीन जगह है ये. इन दोनों दरवाज़ों के बीच कभी हुस्न का बाज़ार था. यूं मान लीजिए कि ये जगह तहज़ीब का आंगन थी.
‘टुंडे कबाब’ हो या फिर रहीम की कुल्चे-निहारी आपको इसी अकबरी गेट पर मिलेगी. यहां चांदी का वरक कूटने वालों की खट-खट में भी एक लय महसूस होती है.
4. लवलेन मार्केट
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लखनऊ में कई शॉपिंग मॉल के बीच हज़रतगंज स्थित ‘लवलेन मार्केट’ आज भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. ये स्टाइलिश और ट्रेंडी कपड़ो का मार्केट हैं. हर तरह के पकड़े और जूते यहां मिल जाएंगे, वो भी मोलभाव करके.
लड़के-लड़कियां आज भी यहां शॉपिंग करने पहुंचते हैं. इसके सामने स्ट्रीट पर भी काफ़ी सामान मिलता है. ये वो मार्केट है, जो सभी की जेबों में फिट बैठता है.
5. नक्ख़ास मार्केट
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एक मज़ाक चलता है कि अगर संडे के दिन आपको नक्ख़ास में कोई काम पड़ गया, तो समझ जाइए आपका दिन ख़राब है. क्योंकि इस दिन यहां पांव रखने की भी जगह नहीं होती. क़रीब 200 साल से भी ज़्यादा पुरानी इस मार्केट में लकड़ी के सामान से लेकर पारंपरिक गहने तक मिलते हैं.
यहां एक छोटा सा पालतू जानवरों का भी मार्केट हैं, जहां से आप खरगोश, तोता आदि ख़रीद सकते हैं. यहां संडे मार्केट में लोग आज भी सेकंड हैण्ड सामान से लेकर कपड़े और बिजली का सामान लेने पहुंचते हैं.
6. कुड़ियाघाट
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यूं तो शहर में घूमने के लिए बहुत सी जगह बन चुकी हैं, लेकिन पुराने लखनऊ में स्थित ‘कुड़ियाघाट’ से आज भी एक अलग ही रिश्ता बना हुआ है. गोमती किनारे सीढ़ियों पर बैठकर चाय पीना और नदी को निहारना हर थकावट को दूर कर देता है.
नांव पर बैठकर पीपे वाले पुल तक का सफ़र इस शहर का एक अलग ही चेहरा दिखाता है. कुड़ियाघाट से लाल पुल का नज़ारा कई बार चकित कर देता है. क्योंकि जहां आप बैठे होते हैं और जहां आपकी निगाह होती है, वो एक शांत और तेज़ रफ़्तार शहर के बीच का अंतर बखूबी बयां कर देता है.
7. अमीनाबाद
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‘पंडित की चाट’ खानी हो या फिर ‘प्रकाश की कुल्फ़ी’, आना अमीनाबाद ही पड़ेगा. लड़कियां सूट कहीं से भी ख़रीद लें, लेकिन जब उन्हें मैचिंग दुपट्टा चाहिए होता है, तो यहां की ‘प्रताप मार्केट’ ही सबसे मुफ़ीद जगह है. आज भी आर्टिफ़िशियल ज्वेलरी और शादी के सामान के लिए यहां का गड़बड़झाला ही सबसे पहले दिमाग में आता है.
पुरानी-नई क़िताबें ख़रीदनी-बेचनी हो या फिर कोल्हापुरी चप्पल पहनने का शौक हो, अमीनाबाद से बेहतर जगह शहर में नहीं मिलेगी.
8. गौतम बुद्ध पार्क
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यूं तो लखनऊ में बहुत से पुराने और नए पार्क है, लेकिन इन सब में ‘गौतम बुद्ध पार्क’ ख़ासतौर से लखनऊ वालों के लिए बेहद स्पेशल है. 90’s किड के लिए तो बुद्धा पार्क किसी एस्सेल वर्ल्ड से कम नहीं था.
आज भी चाहें ईद-बकरीद हो, वैलंटाइन डे या फिर पिता जी की रविवार वाली छुट्टी, बड़ी तादाद में यहां पिकनिक मनाने बच्चे पहुंचते हैं. तमाम झूलों, बोटिंग और कई छोटी-बड़ी मूर्तियों के साथ ये पार्क हमेशा शहर में एक ख़ास पहचान बनाए रखेगा.
9. चिड़िया घर
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वैसे नाम इसका ‘नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान’ है, लेकिन शहर वाले इसे चिड़िया घर ही बुलाते हैं. ये बड़ा ही दिलचस्प है कि आज जब बच्चे बर्गर-पिज़्ज़ा खाने और मल्टीप्लेक्स में फ़िल्म देखने की डिमांड करते हों, उस वक़्त भी लखनऊ में चिड़ियाघऱ घूमने वालों की संख्या कम नहीं हुई है.
हर साल यहां लाखों टूरिस्ट पहुंचते हैं. टाइगर, शेर, हाथी और भालू समेत यहां तमाम जानवर मिलते हैं, जिसके चलते ये जगह आज भी बच्चों का फ़ेवरेट पिकनिक स्पॉट बना हुआ है.
10. दस्तरख़ान
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देखिए जनाब, यूं तो लखनऊ बहुत सी चीज़ों के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां के नॉनवेज का कोई तोड़ नहीं है. ‘दस्तरख़ान’ यहां के सबसे पसंदीदा नॉनवेज प्वाइंट्स में से एक है. जो लोग मुगलई ठाठबाट के साथ भोजन करना चाहते हैं, उनको आज भी दस्तरख़ान से अच्छा ऑप्शन नज़र नहीं आता है.
बिरयानी से लेकर गलावटी कबाब और चिकन मसाला से लेकर बोटी कबाब तक, नॉनवेज की यहां इतनी वैरायटी मिलती हैं कि आप समझ ही नहीं पाएंगे कि पहले क्या ऑर्डर किया जाए.
तो क्या आप अभी भी शॉपिंग मॉल में भटक रहे हैं? टहलिए-टहलिए कोई नहीं, क्योंकि लखनऊ के ये ठिकाने हमेशा ऐसे ही मौजूद रहेंगे. आप आराम से आइए, ये मेहमान नवाज़ी के लिए हमेशा तैयार हैं.