भारत में जैसे-जैसे औद्योगीकरण और शहरीकरण रफ़्तार पकड़ रहा है, वैसे-वैसे हमारे महानगरों में कूड़े के ढेर भी बढ़ रहे हैं. जनसंख्या विस्फ़ोट ने भी आग में घी डालने का काम किया है. नतीज़ा हमारे शहरों में गगनचुंबी कूड़े के पहाड़ के रूप में हमारे सामने है. शहर चाहें दिल्ली हो या मुंबई, कोलकाता हर जगह यही समस्या है.
2016 के अनुमान के अनुसार, भारत में हर साल 277 मिलियन टन म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट पैदा होता है. देश में 77 फ़ीसदी कचरा खुले में डंप किया जाता है, जबकि 18 फ़ीसदी खाद बनाने में यूज़ होता है तो वहीं, महज़ 5 फ़ीसदी ही रिसाइकल हो पाता है. द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि वर्ष 2047 तक भारतीय शहरों में कचरे का उत्पादन पांच गुना बढ़ जाएगा.
ऐसे में आइए एक नज़र डालते हैं उन भारतीय शहरों पर, जिन्हें सबसे बड़े कूड़ेदान या डंपयार्ड के तौर पर जाना जाता है.
1.गाज़ीपुर, ओखला और भलस्वा लैंडफ़िल साइट, दिल्ली
दिल्ली में गाज़ीपुर के अलावा ओखला और भलस्वा लैंडफ़िल साइट भी हैं. दिल्ली में हर रोज़ क़रीब 10,500 टन कचरा एकत्र किया जाता है.
गाज़ीपुर लैंडफ़िल साइट क़रीब 70 एकड़ एरिया में फैला है. 2019 में जब इसे मापा गया था, तब इसका साइज़ 65 मीटर (213 फीट) ऊंचा हो गया था.
ओखला क़रीब 46 एकड़ एरिया में फैला है. यहां दो दशक तक प्रति दिन SDMC द्वारा 3,500 टन कचरे को एकत्र किया जा रहा था. 2010 में अपनी सहन सीमा पार कर चुका था, फिर भी यहां 2018 तक 1200 टन से अधिक डंप किया जा रहा था. बताया गया कि इसकी हाइट 58 मीटर ऊंची हो गई थी, जो इसकी क्षमता से तीन गुना अधिक है.
उत्तरी दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल 53 मीटर ऊंचा है. इसमें हर दिन 2,100 मीट्रिक टन कचरा प्राप्त होता है. हालांकि ये 2006 में अपनी क्षमता तक पहुंच गया, लेकिन वैकल्पिक साइटों की कमी के कारण इसका अभी भी इस्तेमाल जारी है.
2. देवनार और कांजुरमार्ग डंपिंग ग्राउंड, मुंबई
मुंबई में देवनार और कांजुरमार्ग दो बड़े लैंडफ़िल साइट हैं. क़रीब 132 हेक्टेयर एरिया में फैले देवनार लैंडफ़िल साइट पर 90 लाख टन कचरे का ढेर लगा है. मुंबई में एकत्रित कुल कचरे का 25% देवनार में डंप किया जाता है. इस लैंडफ़िल की ऊंचाई क़रीब 35 मीटर है.
वहीं, मुंबई का 70 फ़ीसदी कचरा कांजुरमार्ग लैंडफ़िल साइट में इकट्ठा होता है. यहां रोज़ाना क़रीब 3,500 मीट्रिक टन कचरा डंप होता है.
3. धापा वेस्टलैंड, कोलकाता
कोलकाता का धापा वेस्ट लैंड और डंपिंग ग्राउंड 60 एकड़ भूमि में फैला हुआ है. पूरे शहर का कचरा यहीं डंप किया जाता है. हालांकि, नए कचरा डंपिंग ग्राउंड की भी तलाश की जा रही है.
4. Kodungaiyur डंपयार्ड, चेन्नई
Kodungaiyur डंपयार्ड, चेन्नई में सबसे बड़ा डंपयार्ड है और कोडुंगैयुर और पेरुंगुडी के निवासियों के लिए इसे एक विषाक्त स्थल माना जाता है.
5. Mavallipura लैंडफ़िल साइट, बैंगलुरु
बैंगलुरु में मावलीपुरा कभी एक गांव था, जो अब एक लैंडफिल साइट है. अब यहां क़रीब 500 टन कचरा जमा हो चुका है.
6. उरुली देवाची और फ़ुर्सुंगी लैंडफ़िल साइट, पुणे
उरुली देवची और फुर्सुंगी गांवों को पुणे में लैंडफिल साइट के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा. यहां कचरा डंप करने के चलते पर्यावरण के साथ आसपास के रहने वालों के स्वास्थ पर भी असर पड़ता है.
7. जवाहर नगर डंपयार्ड, हैदराबाद
जवाहर नगर डंपयार्ड 135 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और यहां हैदराबाद शहर से एकत्र किया सारा कचरा डंप किया जाता है. हालांकि, यहां कैपिंग प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
8. पिराना लैंडफ़िल साइट, अहमदाबाद
अहमदाबाद में पिराना लैंडफिल में शहरभर का कचरा डंप होता है. यहां से दुर्गंध समेत ज़हरीला और ख़तरनाक धुआं पैदा होता है, जो इसे भारत के सबसे असुरक्षित और अस्थिर लैंडफ़िल में से एक बनाता है.
9. भांडेवाड़ी डंपिंग एरिया, नागपुर
नागपुर का भांडेवाड़ी डंपयार्ड स्थानीय निवासियों के लिए बेहद ख़तरनाक है. यहां कई बार आग लग चुकी है. डंपिंग यार्ड में जब भी आग लगती है, आसपास के इलाके के लोगों की मुसीबत और बढ़ जाती है, क्योंकि यहां से निकलने वाली दुर्गंध बेहद तेज़ और स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक होती है.
10. वेल्लूर डंपयार्ड, कोयंबटूर
वेल्लूर डंपयार्ड एक बड़ा कचरा स्थल है जहां वाहनों के पहुंचने के लिए सही रास्ते और गैंगवे भी नही हैं. इसके साथ ही यहां कूड़े में भयंकर आग भी लग चुकी है.
भारत में जैसे-जैसे घरेलू पर्यटन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कई टूरिस्ट स्पॉट्स भी डंपयार्ड बनते जा रहे हैं. मनाली हो या फिर नैनीताल या फिर कोई अन्य शहर, यहां बड़ी मात्रा में लापरवाह टूरिस्ट कचरा छोड़ जाते हैं.