कहते हैं कि जिस पर बीतती है, वही जानता है. इसका मतलब है कि जो जिन हालातों से गुज़रता है, उसका दर्द सिर्फ़ उसे ही पता होता है. यही मुश्किल हालत इंसान को फ़ौलादी भी बनाते हैं और दूसरों की मदद के लिये सीख भी देते हैं. जैसे कोविड-19 के दौरान हमने बहुत से लोगों को दूसरों का मसीहा बनते देखा.
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इन्हीं चंद मददगार लोगों में दिल्ली की निशा चोपड़ा भी हैं. निशा 10 महिलाओं की टीम के साथ मिल कर रोज़ाना 100 कोविड-19 प्रभावित परिवारों को खाना खिलाती हैं. ये सिलसिला तब से चालू है, जब से अप्रैल में उनके पति कोरोना संक्रमति हुए थे. उस दौरान पूरे परिवार को क्वारंटीन होना पड़ा. इस वजह से उनके बच्चे खाने के लिये परेशान हो गये और उन्हें फल के सहारे रहना पड़ा.
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ख़ुद के बच्चों को परेशान देख कर निशा को एहसास हुआ कि कोविड-19 से संक्रमित परिवारों को खाने के लिये काफ़ी परेशानी होती होगी. बस इसके बाद से ही उन्होंने मदद की पहल शुरू की. उनके इस काम में 10 महिलाएं और जुड़ गईं. अब सब मिल कर कोरोना संक्रमित परिवारों के लिये खाना बनाती हैं और उन तक पहुंचाती भी हैं.
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बड़ी बात ये है कि निशा और उनकी टीम इस काम के लिये पैसे भी नहीं लेती. मुश्किल वक़्त में किसी का पेट भरा रहे, इससे बड़ी बात किसी के लिये क्या होगी.