क्राइस्टचर्च, न्यूज़ीलैंड में शुक्रवार सुबह दो मस्जिदों पर आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें 49 मासूमों की जान चली गई. हमले के आरोप में 4 संदिग्ध हिरासत में भी ले लिए गए हैं.
हमले के बाद न्यूज़ीलैंड की पुलिस और सरकार ने जितनी तेज़ी से कार्रवाई की, वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. इस हमले के बाद ही दुनियाभर में ‘Islamophobia’ पर चर्चाएं फिर से शुरू हो गई हैं. Islamphobia यानी इस्लाम से डर. इस्लाम को दुनियाभर में 9/11 हमले के बाद से आतंकवाद के चश्मे से देखा जाता है, वो भी निंदनीय है. विश्व के कुछ नेताओं द्वारा आतंकी हमले के लिए ‘चरमपंथी हमला’ आदि शब्दों का प्रयोग भी कई प्रश्न खड़े कर रहा है.
मस्जिद में दहशत के माहौल को बयां करती कुछ तस्वीरें:
आतंकवादी पूरे हमले को फ़ेसबुक पर लाइव कर रहा था. वीडियो को फ़ेसबुक ने हटा दिया है. वीडियो में ही देखा गया कि नईम रशीद नामक एक शख़्स ने आतंकी की बंदूक को हाथों से पकड़ कर उसे दूर करने की कोशिश की और ऐसा करते हुए अपनी जान गंवाई.
Guru Nanak’s Free Kitchen Auckland ने अपने फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट के द्वारा पीड़ितों की मदद करने का आग्रह किया है.
ये दो उदाहरण ये साबित करते हैं कि अगर दुनिया में दहशद फैलाने वाले लोग हैं, तो दुनिया में मोहब्बत फैलाने वाले लोग भी हैं.