भारत 2017 में प्रवेश कर चुका है, लेकिन देश में महिलाओं से जुड़े रोज़ ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो देश की पुरुष प्रधान सोच और मानसिक संकीर्णता को साफ़ ज़ाहिर करते हैं. हाल ही में दिल्ली में हुई ये घटना भी एक सभ्य समाज के तौर पर हमारे सर को शर्म से झुका देती है.

किसी भी महिला को रेप जैसी घटना के बाद मानसिक टॉर्चर से गुज़रना तो पड़ता ही है, साथ ही समाज के बेबुनियादी सवालों से भी दो-चार होना पड़ता है. लेकिन दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल ने तो इस Victim Shaming की सारी हदें पार कर दीं.

दिल्ली के एक नामी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली ये लड़की दसवीं क्लास की छात्रा है. कुछ महीनों पहले इसे कुछ बदमाशों ने अगवा कर लिया था और रेप के बाद उसे कार से फ़ेंक दिया गया था. लड़की अपने साथ हुई इस घटना से मानसिक रूप से जूझ रही थी. कुछ समय बाद जब ये लड़की स्कूल जाने के लिए तैयार हुई तो उसे समाज के वीभत्स चेहरे का सामना करना पड़ा. ऐसी परिस्थितियों में साथ देने की जगह स्कूल ने कायरता भरा कदम उठाया.

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स्कूल प्रशासन ने इस लड़की को केवल इसलिए एडमिशन देने से मना कर दिया, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से स्कूल की प्रतिष्ठा पर आंच आ सकती है.

लड़की के अभिभावकों ने शिकायत में कहा कि “स्कूल प्रशासन को लगता है कि अगर हमारी बेटी रोज़ स्कूल जाती है तो इससे उनके स्कूल की इमेज खराब होगी”. स्कूल प्रशासन ने इस लड़की की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी लेने से मना कर दिया है. स्कूल ने कहा है कि “बच्ची चाहे तो ग्यारहवीं क्लास में एडमिशन ले सकती है, लेकिन वह रोज़ स्कूल नहीं आएगी, क्योंकि इससे स्कूल की इमेज पर असर पड़ सकता है.

दिल्ली कमीशन फॉर वुमेन ने स्कूल के एजुकेशन डिपार्टमेंट को इस बाबत एक नोटिस भेजा है. DCW चीफ़ स्वाति मालीवाल ने कहा कि “ये एक गंभीर मामला है. इस लड़की को बिना कोई कुसूर के सज़ा मिल रही है. ये बेहद शर्मिंदगी भरा है और इसे कतई बर्दाशत नहीं किया जा सकता.”

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दिल्ली कमीशन फ़ॉर वुमेन की अध्यक्ष, स्वाति मालिवाल ने बताया कि स्कूल ने लड़की के पेरेंट्स से कहा है कि स्कूल प्रशासन इस लड़की की सुरक्षा की गारंटी नहीं ले सकता है और अगर फिर भी वे इसे यहीं एडमिशन दिलाना चाहते हैं, तो उसके स्कूल बस इस्तेमाल करने पर मनाही है. अब इस बच्ची के मां-बाप को रोज़ उसे स्कूल लाना, ले जाना पड़ रहा है.

किसी भी स्कूल से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता और मानव मूल्यों का पाठ पढ़ाए. लेकिन इस मामले में अपने बयान से स्कूल नैतिकता तो दूर, बल्कि अपनी संकीर्ण मानसिकता का साफ़ प्रदर्शन कर रहा है.

बाबा साहेब ने कहा था कि किसी भी देश की प्रगति मापना चाहते हो तो वहां की महिलाओं की सामाजिक स्थिति का जायज़ा ले लेना चाहिए. ये घटना साबित करती है कि देश में महिलाओं की चुनौतियों में ज़्यादा बदलाव नहीं आया है.