श्रीनगर का Gada Kocha इलाका अपने मसालों के लिए पूरी दुनिया में फ़ेमस है. बीते बुधवार को यहां जश्न जैसा माहौल था, वजह थी सालों बाद एक कश्मीरी पंडित का वापस आना. इनका नाम है रोशनलाल मावा, जो 1990 में कश्मीर में हुए दंगों के बाद कश्मीर छोड़कर चले गए थे. रोशन लाल वापस लौट आए हैं और उन्होंने यहां फिर से बिज़नेस शुरू कर दिया है. 

करीब 30 सालों बाद कश्मीर लौटे रोशनलाल मावा(70) का स्वागत इलाके अन्य व्यापारियों ने बड़ी ही धूम-धाम से किया. उन्होंने दस्तारबंदी की रस्म अदा करते हुए रोशनलाल को पगड़ी भी पहनाई. 

कश्मीरी लोगों का प्यार देखकर रोशनलाल की आंखों में खु़शी के आंसू आ गए. उन्होंने नम आंखों से कहा- ‘मैं सबकुछ भुलाकर नई शुरुआत करने जा रहा हूं. मुझे अपने पैतृक गांव से बहुत प्यार है और मैं फिर से यहां अपनी दुकान खोलने जा रहा हूं. मेरी दुकान के आस-पास के दूसरे मुस्लिम व्यापारियों ने दिल खोलकर मेरा स्वागत किया और दस्तारबंदी की रस्म भी अदा की. मेरे साथ ही उन्होंने मेरे बेटे का भी इस ज़िंदादिली के साथ स्वागत किया.’

टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए अपने इंटरव्यू में रोशनलाल ने ये भी बताया कि उनके साथ 1990 में क्या हुआ था. उन्होंने बताया कि करीब 30 साल पहले Gada Kocha में उनकी दुकान हुआ करती थी. उनकी दुकान ड्राइ फ़्रूट्स के थोक व्यापार के लिए पूरे इलाके में प्रसिद्ध थी. 

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90 के दशक की शुरुआत में वहां आतंकवाद ने पैर पसारने शुरु कर दिए. हिंदु और मुस्लिमों के बीच ज़हर बोया जाने लगा. उसी वर्ष हज़ारों कश्मीरी पंडितों को शहर छोड़ना पड़ा. 

उन्होंने आगे कहा-एक दिन एक लड़का पिस्तौल लिए मेरी दुकान पर आया और मुझे गोली मार दी. मेरा परिवार मुझे लेकर दिल्ली आ गया. यहां मेरा इलाज करवाया और हम यहीं सेटल हो गए. यहां भी हमने ड्राइ फ़्रूट्स का बिज़नेस शुरू किया. लेकिन मैं वहां वापस लौटना चाहता था.
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रोशनलाल के बेटे संदीप J&K Reconciliation Fronta नाम का एक एनजीओ चलाते हैं. वो कश्मीरी पंडितों को फिर से वहां बसाने का प्रयास कर रहे हैं. उसी के चलते रोशनलाल कश्मीर में फिर से बसने में कामयाब हुए. रोशलाल चाहते हैं कि बाकी के कश्मीरी पंडित भी उनकी तरह कश्मीर में वापस लौट आएं. 

इस बारे में बात करते हुए संदीप ने कहा- ‘साल 2016 में भी मैंने 50 कश्मीरी परिवारों को वहां फिर से बसाने की कोशिश की थी. लेकिन बुरहान वानी के केस के चलते ऐसा हो न सका. उम्मीद है हमारे परिवार से प्रेरित होकर अन्य कश्मीरी पंडित भी कश्मीर वापस लौटेंगे.’ 

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इसी इलाके के एक व्यापारी मुख़्तार अहमद ने भी कश्मीरी पंडितों से वापस आने की अपील की है. उनका कहना है कि वो रोशनलाल के आने से ख़ुश हैं और उनकी तरह दूसरे लोगों को भी अपने घर वापस लौट आना चाहिए.