घरेलू गैस सिलेंडर की क़ीमतें एक बार फिर से बढ़ गई हैं. मगर इससे केरल के एक परिवार को कोई फ़र्क नहीं पड़ा. अरे भाई उनके घर में ख़ुद का मिथेन गैस का भंडार जो है. वो कई सालों से इसी गैस पर खाना पकाते आ रहे हैं.
केरल के अलपुझा ज़िले में ये परिवार रहता है. इनकी मुखिया हैं 66 वर्षीय रत्नम्मा.उनके घर के कंपाउंड में मिथेन गैस का एक कुंआ है, जिसका इस्तेमाल वो खाना पकाने के लिए पिछले क़रीब 8.5 साल से कर रही हैं.
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दरअसल, साल 2011 में इनके गांव में पानी की बहुत कमी हो गई थी. इससे निपटने के लिए इन्होंने अपने घर के कंपाउंड एक कुंआ खुदवाया. 75 फ़ीट तक खोदने के बाद भी पानी नहीं मिला, तब इन्होंने मज़दूरों से इसे बंद करने के लिए कह दिया. रत्नम्मा को इस बात पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि इस कुएं को खोदने में उन्होंने बहुत से पैसे बर्बाद कर दिए. मगर जब मज़दूरों ने उसके पास माचिस जलाई तो उसमें आग पकड़ने लगी.
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फिर पलंबर ने पाइप के ज़रिये मिथेन गैस को चूल्हे से जोड़ दिया. इस तरह वो उस पर खाना बनाने लगीं. रत्नम्मा जी बताया कि पहले तो वो डर गईं कहीं इससे कोई ख़तरा तो नहीं. उनके पति भी इससे सहमत थे. इसलिए ख़ुद उन्होंने इसकी जांच पड़ताल करवाई. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अधिकारियों ने भी 2011 में इसके मिथेन गैस होने और कोई ख़तरा न होने की बात कही. उन्होंने ये भी कहा था कि ये कुछ दिनों में ख़त्म हो जाएगी. पर ऐसा नहीं हुआ.
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इसके दो साल बाद ONGC ने भी इसके सोर्स का पता लगाने की कोशिश की. मगर वो इसमें कामयाब नहीं हुए. उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद ये गैस ख़त्म हो जाएगी. पर ये मिथेन गैस आज भी चल रही है और रत्नम्मा जी का परिवार आज भी इस पर खाना पका रहा है. उनका कहना है कि वो एल.पी.जी. सिलेंडर का बहुत कम ही इस्तेमाल करती हैं.
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वैसे मिथेन गैस निकलने का ये पहला मामला नहीं है. 2016 में भोपाल के एक खेत में लगे ट्यूबवेल में भी मिथेन गैस निकली थी. तब लोगों ने इसमें पाइप लगा कर उसे खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया था.
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