दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो कुछ अलग कर गुज़रते हैं. ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी ज़िन्दगी की परवाह नहीं करते और दूसरों की ज़िन्दगी को ज़्यादा एहमियत देते हैं. उनके द्वारा कायम की मिसाल कई लोगों के लिए प्रेरणा देती रहती है.

ऐसा ही एक जाबांज़ अफ़गानिस्तान में भी है. अफ़गान पुलिस के Lieutenant Sayed Basam Pacha ने गुरुवार को एक सुसाइड बॉम्बर को गले लगाकर कई मासूम ज़िन्दगियां बचा लीं. ऐसा करने से पहले उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा.

Facebook

Sayed उस समय जिस हॉल की निगरानी कर रहे थे उस हॉल के अंदर बहुत सारे लोग थे. उनके साथ भी पुलिस के कई अफ़सर थे. बोम्बर हॉल के गेट की तरफ़ बढ़ा तो लंबे-चौड़े शरीर के Lt. Sayed को उस पर संदेह हुआ और उन्होंने उसे रुकने को कहा. लेकिन वो बॉम्बर भागने लगा तब Sayed ने उसकों अपनी बांहों में जकड़ लिया.

एक पल बाद बॉम्बर ने बम डिटोनेट कर दिया, जिसे उसने अपनी कोट के नीचे छिपा रखा था.

NY Times

पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि इस विस्फोट में Sayed के अलावा 6 आम नागरिक, 7 पुलिस वाले भी मारे गए और 7 पुलिसवाले, 11 आम नागरिक ज़ख्मी भी हो गए.

इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर Sayed ने बॉम्बर को नहीं रोका होता तो मरने वालों की तादाद और ज़्यादा होती क्योंकि बॉम्बर ने काफ़ी तीव्रता वाला बम इस्तेमाल किया था.

NY Times

Sayed ने न सिर्फ़ अपना कर्तव्य का पालन किया बल्कि कई ज़िन्दगियां भी बचा लीं.

Sayed के पिता ख़ुद एक जनरल हैं, उन्होंने बताया,

उसने दो डिग्रियां कमाईं. एक पॉलिटिकल साइंस में और एक पुलिस अकेडमी में. वो 5 साल तुर्की में रहा, अभी डेढ़ साल पहले ही तो वो तुर्की से वापस आया था. सिर्फ़ 25 साल का था वो. हमारे परिवार में सिर्फ़ वो और मैं ही पुलिस में थे.

Rah-e-Farda रेडियो और टेलिविज़न के दो जर्नलिस्ट भी इस हमले के शिकार हुए. स्टेशन के एंकर ने बताया कि रिपोर्टर ताक़ि सदीद की हालत गंभीर है और कैमरामैन हुसैन नज़री का कुछ पता नहीं है.

Sayed को पुलिस से जुड़े सिर्फ़ कुछ समय ही बीता था लेकिन इतने समय में ही उन्हें अपने सीनियर्स से प्रशस्ति पत्र मिला था, जिसे उन्होंने अपने फ़ेसबुक पेज पर डाला था.

Facebook

Sayed के दोस्तों का कहना है कि वो हमेशा दूसरों की परवाह करते थे और भ्रष्टाचार से उन्हें बहुत नफ़रत थी. वो अपने पिता की तरह ही एक जनरल बनना चाहते थे.

इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है. वहां मौजूद लोगों का कहना है कि हॉल के अंदर Sayed चाय पीने गए थे, लेकिन जैसे ही लोग हॉल से बाहर आने लगे उन्होंने अपनी चाय पूरी भी ख़त्म नहीं की, क्योंकि उनके लिए उनकी ड्यूटी सबसे ज़्यादा ज़रूरी थी.

Sayed की शहादत को दिल से सलाम.