पाकिस्तान से घर वापस आ रहे थे भारतीय एयर फ़ोर्स के विंग कमांडर अभिनन्दन वर्तमान के घर पहुंचने से पहले उनकी बहन की तरफ़ से एक कविता शेयर की गयी, जिसे अभी तक कई लोग पढ़ चुके हैं. हालांकि ये कविता उनकी बहन ने ख़ुद नहीं लिखी है. 

भारत-पाकिस्तान के बीच इस वक़्त तनाव की स्थिति है. ये तनाव सरहद से लेकर भारत और पाकिस्तान के आसमान पर भी दिखा. 26 फरवरी को भारतीय एयर फ़ोर्स ने LOC पार जा कर पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डों पर एयर स्ट्राइक की. भारत की तरफ़ से ये कहा गया कि इस Exercise में उसने लगभग 200 से 300 आतंकियों को मार गिराया और उसके अगले दिन जब भारतीय ज़मीन पर पाकिस्तान के हवाई जहाज़ों ने स्ट्राइक की, तो उन्हें खदेड़ते हुए भारतीय एयर फ़ोर्स के विंग कमांडर, अभिनन्दन का जहाज़ दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उन्हें पाकिस्तान में लैंड करना पड़ा. उस वक़्त से लेकर अभी तक, दोनों देशों की तरफ़ से कई बातें कही गयीं और आखिरकार पाकिस्तान को Geneva Convention के तहत अभिनन्दन को छोड़ना पड़ा. 

अभिनन्दन के घर आने से कुछ देर पहले तक हर कोई सोशल मीडिया पर इस कविता को पढ़ रहा था, जिसका शीर्षक है, My Brother With A Bloodied Nose. ये कविता अभिनन्दन के पिछले कुछ दिनों के समय का सार है. 


कविता अंग्रेज़ी में है, इसलिए इसका हिंदी अनुवाद कर रहे हैं. कोशिश पूरी है कि इसके भाव के साथ छेड़छाड़ न हो: 

ख़ून से लथपथ मेरे भाई 
एक अफ़सर और एक अच्छा आदमी 
वो सरहद के उस पार पहुंच गया 
उसके बस में जो भी था, उसने किया
फिर वो उतरा 

उन्होंने उसे अपनी ज़मीं पर पकड़ा और, 
बहुत पीटा, शायद भी हम यही करते 
लेकिन तब तक फ़ौज वहां आयी और उस भीड़ को हटा दिया 
उन्होंने उसे बचा लिया 

‘कौन हो तुम?’ उनका सवाल था
शालीन और सटीक उसका जवाब था 
‘इंडियन एयर फ़ोर्स का एक पायलट’
थका-हारा, चोटिल लेकिन गर्व से वो खड़ा था 

अगर लोग थोड़ा सा भी उसकी तरह बन पाते 
और ये समझ पाते कि ‘युद्ध’ और ‘बदले’ की हुंकार 
एक खोखला शोर है 

ख़ून से लथपथ मेरे भाई  
वो खड़ा था वहां अडिग और निर्भीक 
वो उनके सामने मुस्कुरा रहा था 
उन्हें एक ज़रूरी सबक दिया जा रहा था 

वीरता ऑनलाइन ऑर्डर कर नहीं मिलती 
न ही Amazon Prime की Overnight डिलीवरी से आती है 
न ये समय है जुमलों का, न चुटकियों का 
आरामदायक कुर्सियों पर बैठने वालों को कहो, 
ये समय सही नहीं 

ख़ून से लथपथ मेरे भाई 
धन्य है तुम्हारा जोश और तुम्हारा समर्पण 
मुझे डर है तुम्हारी इस निडरता और साहस के
हम में से कुछ लायक नहीं 

अपने झूठे उन्माद का तांडव करने वाले, 
तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं होगा 
दुश्मन की ज़मीं पर पैर रखना क्या होता है 
लड़ाई में गोली खाना क्या होता है 

ख़ून से लथपथ मेरे भाई 
तुमने आज एक सबक दिया है 
जहाज़ से गिरने के बाद भी 
‘नीचे’ कैसे नहीं गिरना है 

मौत हो या अनिश्चितता 
अपने चरित्र को कैसे संभालना है 
और सबसे पहले, इंसान कैसे बनना है 

ख़ून से लथपथ मेरे भाई 
अपना सिर ऊंचा रखो, चुनातियों से न डरो 
एक सलामी तुम्हारे त्याग के लिए 
धैर्य रखो, हम आ रहे हैं तुम्हें ले जाने के लिए 

ख़ून से लथपथ मेरे भाई 
वो जहाज़ जिसने उड़ान भरी थी,
तुम और वो सभी जो हमारी रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं 
नभ: स्पर्शम दीप्तम 

Salut!   

कविता को आप अंग्रेज़ी में यहां पढ़ सकते हैं: