‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनिया में हर दो में से एक युवा इंसान डिप्रेशन या अवसाद का शिकार है. आज के दौर में लोगों के बीच अवसाद आम बात हो गई है, बावजूद लोग इस पर बात करने से कतराते हैं.

आज के दौर में लोग अपनी ज़िंदगी की जद्दोजहद में इतना व्यस्त हो गए हैं कि किसी अजनबी के लिए उनके पास वक़्त ही नहीं है. कभी कभी हम ख़ुद को इतने अकेले महसूस करने लगते हैं कि लगता है काश कोई होता जिसके साथ हम दो बातें कर पाते, लेकिन ऐसा हर साथ संभव नहीं है. इन्हीं उलझनों से परेशान होकर कई लोग आत्महत्या जैसा गंभीर कदम भी उठा लेते हैं.   

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पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र डिप्रेशन और अकेलापन से जूझ रहे लोगों की बेहद यूनीक तरीके से मदद कर रहा है. पुणे के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ़ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ से कंप्यूटर इंजीनियरिंग कर रहा राज विनायक डगवार हर सप्ताह के अंत में एफ़. सी. कॉलेज की रोड पर एक बोर्ड लेकर खड़े हो जाता है. जिस पर ‘मुझे अपनी कहानी बताओ और मैं तुम्हें 10 रुपए दूंगा’ लिखा होता है.

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जो लोग मुझसे बात करते हैं, वो बहुत उदास होते हैं. कुछ लोगों को कुछ भी पता नहीं होता है, लेकिन वो घर नहीं जाना चाहते. सच कहूं तो कुछ समय के लिए किसी अजनबी के साथ अपने दिल की बातें साझा करने से तनाव काफ़ी कम हो जाता है.  

विनायक के मुताबिक़, कुछ समय पहले उसने सोशल मीडिया पर एक विदेशी शख़्स की तस्वीर देखी थी जो प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ा होकर लोगों से कह रहा था आप मुझे अपनी कहानी बताओ और में आपको 1 डॉलर दूंगा’. इसी तस्वीर से विनायक को भी ये नायाब तारीका आया.     

इंजीनियरिंग के छात्र राज विनायक डगवार की इस नेक कोशिश के लिए लोग उनकी काफ़ी तारीफ़ कर रहे हैं.