स्कूल के वो दिन कभी वापस नहीं आएंगे, चाहे जितनी भी कोशिशें कर लो. हमारे स्कूलों में आमतौर पर अंग्रेज़ी, हिन्दी, सोशल साइंस, मैथ, साइंस, कंप्यूटर ही पढ़ाया जाता था. नामी गिरामी स्कूलों में स्वीमिंग, मार्शल आर्ट्स, गार्डनिंग, कढ़ाई वगैरह भी सिखाया जाता है.

क्या ये सब लाइफ़ जीने के लिए काफ़ी है. स्कूलों में आज भी वही करिकुलम है और मज़े की बात ये है कि स्कूल में पढ़ाया गया बहुत कुछ बड़े होने पर काम नहीं आता. लाइफ़ स्किल्स, जैसे छोटे-मोटे बिजली के काम, प्लम्बिंग का काम, कारपेंट्री का काम ये सब हम बड़े होने के बाद YouTube से सीखते हैं.
कार मेन्टेनेन्स और बेसिक मैकेनिक स्किल्स किसी स्कूल में नहीं सिखाया जाता.


ऑस्ट्रेलिया के स्कूल में ग्रेड 11 की छात्राओं और टीनेजर्स को कार मेन्टेनेन्स करना सीखाया जा रहा है. छात्राओं को टायर कैसे बदलना है, टायर प्रेशर कैसे चेक करना है, तेल, Coolant Level, कार क्रैश में क्या करना है आदि बताया गया

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए Galmatic कार मेन्टेनेन्स स्कूल ने ये पहल की है.