पत्रकारिता… नाम में ही वज़न है. अंग्रेज़ी में इसे Noble Profession कहा जाता है. यानि कि शरीफ़ों वाली नौकरी. दुख की बात है कि पहले के ज़माने में ऐसा कहा जाता था और शायद पहले ही इस नौकरी या प्रोफ़ेशन में शराफ़त थी.

हमारे शिक्षकों ने देश में छपी कुछ किताबों में हमने पढ़ा की आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने वाले कई स्वतंत्रता सेनानी पत्रकार भी थे. समाचार-पत्रों के ज़रिये वो आम जनता को जागरूक करते थे.

आज काम-काज करते हुए हमारी नज़र पड़ी इस पर-

अगर कोई बंदा पहली लाइन ही पढ़े, तो उसे ऐसा लगेगा की ख़बर अक्षय कुमार के बारे में है. सामान्य दिमाग़ वाले हम जैसे किसी भी व्यक्ति को यही लगेगा कि अक्षय कुमार का किसी सह-कलाकार के साथ पंगा हो गया है. इसके बाद पाठक आर्टिकल देखेंगे और उन्हें पता चलेगा कि आर्टिकल में नीरज वोरा की बात हो रही है, जिनकी मृत्यु हो गई है. हो सकता है इसके बाद कोई पाठक अपना Interest खो दे और आर्टिकल बंद कर दे. ये उनकी मर्ज़ी है.

The Viral Blaze

हेडलाइन पढ़कर ऐसा लगता है कि किसी फ़िल्म में नीरज वोरा और अक्षय कुमार आमने-सामने रहे होंगे, लेकिन ये बात अलग तरह से कही जा सकती थी.

पर यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस तरह के Headline से आख़िर कोई भी न्यूज़-चैनल, अख़बार या वेबसाइट क्या हासिल करना चाहता है? पहली चीज़ जो दिमाग़ में आती है वो है Page Views. इन Technical बातों में ना जाते हुए सीधा-सादा प्रश्न ज़हन में आता है कि क्या किसी की मृत्यु पर इस तरह की ख़बर किसी भी मीडिया हाउस को शोभा देती है?

बहुत से पाठक हम पर भी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पब्लिश करने का आरोप लगाएंगे, ये उनका नज़रिया है. लेकिन किसी की मौत को भी Page Views के लिए मज़ाक बनाकर रख देना हैवानियत नहीं तो और क्या है?

किसी की मृत्यु एक दुखद घटना है, उस पर इस तरह का कुछ भी लिखने से पहले लेखक को विचार करना चाहिए.

ये है उस मीडिया हाउस का लेख-

http://inextlive.jagran.com/actor-director-neeraj-vora-passes-away-5-things-to-know-201712140002