बात आज़ादी के दिन यानि, 15 अगस्त की है. जब पूरे देश में जश्न का माहौल था. हर कोई अपनी आज़ादी को अपने तरीके से महसूस कर रहा था. कोई देशभक्ति के रंग में डूबा हुआ था, कोई अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने जा रहा था, तो कई लोग पतंगबाज़ी कर रहे थे. हमारे देश में 15 अगस्त और मकर सक्रांति को पतंग उड़ाने की एक प्रथा है, जो सदियों से चली आती है. हालांकि, भारत में कई लोग इसके विरोध में हैं, क्योंकि इससे लोगों की मौत भी होती है. आप जाने-अनजाने में ऐसी ग़लती कर रहे हैं, जिसका ख़ामियाजा किसी मासूम को कई बार जान देकर चुकाना पड़ता है.
सोचिए, आपकी पतंग से किसी की मौत हो जाए तो आप क्या करेंगे? पतंग उड़ाने में जितना मजा आता है, उससे कहीं ज्यादा दुःख उसके मांझे से किसी की मौत होने पर होता है. चाहे वह मौत किसी पक्षी की हो या फिर इंसान की.
एक अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मांझे के कारण तीन लोगों की मौत हुई और एक शख़्स जख़्मी हुआ है. इसके अलावा 570 पक्षियों की मौत हुई और 1000 पक्षियों के घायल होने की खबर है. ये आंकड़ें सिर्फ़ दिल्ली के हैं. इस तीन घटना से सबक लेने की ज़रूरत है.
मांझे से बच्चे का धड़ शरीर से अलग हो गया
यह घटना दिल्ली के तिलक नगर की है, जब दो बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ बाहर घूमने जा रहे थे. तभी एक बच्चा जैसे ही गाड़ी की सन रूफ से बाहर झांकने की कोशिश किया, तुरंत ही पतंग के मांझे से उसकी गर्दन कट गई और उसकी मौत मौके पर ही हो गई.
8 साल के बच्चे की गर्दन अलग हो गई
आज़ादी का अहसास पाने जब 8 साल का एक बच्चा अपने घर से निकला, तो उसे ये नहीं पता था कि वो पल उसका आख़िरी पल होगा. घर से बाहर निकलते ही, मांझे से उसकी गर्दन कट गई और पलक झपकते ही मासूम की मौत हो गई.
बाइक से घर जा रहे युवक की मौत
दिल्ली से गाज़ियाबाद जा रहे एक युवक की मौत मांझे के कारण हो गई.
पुलिस भी इसकी चपेट में आई
दिल्ली के आनंद विहार इलाके में जब एक पुलिसवाला गश्त पर था, तभी मांझे से वो घायल हो गया. हालांकि, अब वो सुरक्षित है.
प्राणी अधिकारों की वकालत करने वाली संस्था (PETA) इसके ख़िलाफ है. उसका मानना है कि पतंगबाजी के दौरान दूसरों की पतंग काटने की होड़ लगी रहती है और इस दौरान मांझे को ज्यादा तेज धार का बनाया जाता है. इसके लिए कांच के पाउडर, धातु और अन्य चीजों का इस्तेमाल होता है.
प्रशासन भी एक्शन ले रहा है
मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए प्रशासन भी पतंगबाजी के ख़िलाफ़ है. प्रशासन ने नागरिकों को हिदायत देते हुए कहा है कि अगर ‘मांझे’ से किसी व्यक्ति की मौत होती है तो जिम्मेदार व्यक्ति को गैर इरादतन हत्या के लिए गिरफ्तार किया जाएगा.
क्यों ख़तरनाक है मांझा
देसी मांझा जितने ऊंचे दाम का होता है उतना अच्छा माना जाता है, लेकिन ये इतना भी मजबूत नहीं होता कि किसी की गर्दन, उंगली या पैर काट दे. पिछले कई सालों से बाजार में चाइनीज मांझा आया, जो दिल्ली में किलो के भाव से मिलता है. इसका रेट बेहद सस्ता होता है. इसकी मजबूती ऐसी होती है कि ये जल्दी टूटता नहीं, बल्कि शरीर के किसी अंग से अगर रगड़ जाए तो उसे काट देता है.