मोदी सरकार को तीन साल पूरे हो चुके हैं. इस दौरान सरकार कई मोर्चों पर आगे बढ़ी है, तो कुछ मुद्दों पर विफ़ल भी साबित हुई है. लेकिन साहेब का जादू बरकरार है. हाल ही में हुए यूपी और दिल्ली में हुए चुनाव इसकी बानगी हैं. अगले दो सालों में पीएम मोदी लोगों को अपने मोहपाश में बांध पाने में सफ़ल हो पाएंगे या नहीं, ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना ज़रुर है कि सरकार के लिए चुनौतियां निरंतर बनी हुई हैं.

1. जॉब जनरेशन

साल 2013 में पीएम मोदी ने एक रैली में वादा किया था कि वे हर साल 1 करोड़ नौकरियों का निर्माण करेंगे, लेकिन सरकार नौकरियों के निर्माण में विफ़ल रही है. पिछले आठ सालों में जॉब ग्रोथ रेट सबसे खराब रहा है. 2009 में जहां 10 लाख जॉब्स का निर्माण हुआ था, वहीं 2016 में अलग-अलग क्षेत्रों में महज 2 लाख नौकरियों का निर्माण हुआ. हाल ही में आईटी सेक्टर में घटी नौकरियों के चलते भी जॉब मार्केट मोदी सरकार के लिए चिंता का सबब बना हुआ है.

2. काला धन

पीएम मोदी और बीजेपी सरकार काले धन को प्रमुख मुद्दा बनाती रही है. पीएम मोदी अपनी कई रैलियों में 100 दिनों में काला धन वापस लाने की बात करते रहे हैं लेकिन सरकार बनने के तीन साल बाद भी इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. नोटबंदी से कुछ पैसा रिकवर होने की बात ज़रूर हुई थी, लेकिन उसे भी अभी तक सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया है.

3. हाइवे निर्माण

साल 2011-14 के बीच यूपीए सरकार जहां प्रतिदिन 13 किलोमीटर के हाईवे का निर्माण करती थी, वहीं एनडीए ने तीन सालों में 17 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से निर्माण किया. परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाईवे निर्माण का टार्गेट 41 किलोमीटर प्रतिदिन तय किया है. यूपीए सरकार के 5,000 किलोमीटर के आंकड़े के मुकाबले एनडीए सरकार में ये 11,000 किलोमीटर से भी ज़्यादा हो गया है. अगले 2 सालों में 5 लाख करोड़ रुपये के हाइवे प्रॉजेक्ट्स के ठेके देने का फ़ैसला किया है .

4. नक्सलवाद

नोटबंदी के समय केंद्र सरकार की तरफ़ से दावा किया जा रहा था कि इससे आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूट जाएगी, लेकिन हालात एकदम उलटे दिखाई दे रहे हैं.

अप्रैल 2017 में 48 सैनिक नक्सल हमलों में शहीद हुए है. 2010 के बाद ये हमारे सैनिकों के लिए सबसे घातक समय रहा है. वहीं कश्मीर में भी समस्या बद से बदतर हुई है. श्रीनगर में हुए चुनावों में महज 2 प्रतिशत लोग वोट डालने के लिए आए थे.

5. एनर्जी सेक्टर

एनर्जी के सेक्टर में मोदी सरकार का काम काफ़ी प्रभावशाली रहा है. सरकार ने उजाला स्कीम द्वारा 18 करोड़ एलीईडी बल्ब को लोगों में बांटा है. इससे दिसंबर 2016 तक 2000 मेगावाट बिजली बचाई गई है. 2019 तक सरकार 77 करोड़ एलईडी बल्ब बांटने की योजना बना रही है

खास बात ये है कि भारत अब बिजली के मामले में सरप्लस हो गया है. मतलब जितनी ज़रूरत है, भारत उससे ज़्यादा पैदा कर रहा है. ऐसे में भारत अगर चाहे तो दूसरे देशों को बिजली बेच भी सकता है. सोलर पावर के मामले में भी सरकार मजबूती से आगे बढ़ी है. मार्च 2014 में 2621 मेगावाट से अब सौर ऊर्जा पैदा करने की कैपेसिटी 12288 मेगावॉट हो चुकी है. 2022 तक इसका लक्ष्य एक लाख मेगावॉट रखा गया है. मंत्रालय ने सौर ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ने का काम भी सरल किया है.

6. बिज़नेस फ़्रेंडली हुआ भारत

पीएम मोदी गुजरात के समय से ही काफ़ी बिज़नेस फ्रेंडली रहे हैं और इस मामले में उनकी सरकार ने कुछ तरक्की भी की है. World Bank के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में बिज़नेस को आसान बनाने वाले देशों में भारत का नंबर 142 था वहीं 2016 में ये रैंकिंग 130 हुई है यानि मोदी सरकार ने बिजनेस शुरू करने के जटिल प्रोसेस लोगों के लिए थोड़ा आसान बनाया है.

7. गंगा की सफ़ाई

केंद्र सरकार द्वारा गंगा को साफ़ करने के बड़े-बड़े वादे किए गए थे. मोदी सरकार ने पहले कहा था कि 2017 तक गंगा की सफ़ाई को पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद 2019 तक समय निर्धारित किया था. 2014 से लेकर 2016 तक गंगा को साफ़ करने के लिए लगभग 3000 करोड़ रुपए का पैकेज निर्धारित किया गया था लेकिन गंगा के हालात आज पहले से बदतर हो चुके हैं.

8. करप्शन

भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों में बढ़ी शिकायतें दिखाती है कि लोगों में पीएम मोदी की सरकार को लेकर विश्वास बढ़ा है. सीवीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी संस्थानों से लेकर लोगों को उम्मीद है कि पीएम मोदी भ्रष्टाचार के फ़ैसलों के खिलाफ़ सख्त एक्शन लेंगे. हालांकि फ़ाइनेंस बिल को केंद्र सरकार का समर्थन साफ़ करता है कि करप्शन के खिलाफ़ जंग को लेकर सरकार पूरी तरह से गंभीर नहीं है.

9. स्टार्ट अप इंडिया 

सरकार ने स्टार्ट अप इंडिया के लिए 10000 करोड़ का फंड निर्धारित किया था लेकिन अभी तक इस फंड से 5.6 करोड़ ही इंवेस्ट हो पाया है. यही कारण है कि विश्व बैंक की रैंकिंग में नए बिज़नेस शुरू करने वाले देशों में भारत की रैंकिंग 151 से 155 पर फ़िसल गई है.

10. सबके लिए घर 

सरकार ने 2022 तक 2 करोड़ घरों का निर्माण का वादा किया था. दिसंबर 2016 तक सरकार 6716 घरों का निर्माण पूरा कर चुकी है.