पिछले साल दिल्ली के गलियारों में फिर से वो नाटक खेला जा रहा था, मिर्ज़ा ग़ालिब वाला. बल्लिमरां की गलियां भले ही ग़ालिब के शेरों से न गुंजती हो, पर रंगमंच और किताबों के ज़रिये ग़ालिब को आज भी ज़िन्दा रखा गया है.

Pierrot Troupe ने ग़ालिब के ज़िन्दगी पर एक नाटक तैयार किया, जिसमें उनके जीवन के 4 चरणों को दिखाया गया था. सबसे उम्रदराज़ ग़ालिब का रोल टॉम ऑल्टर ने निभाया था. इस नाटक को 80 से भी ज़्यादा बार प्रस्तुत किया गया था. कुछ दर्शकों की माने तो वो टॉम ‘ग़ालिब’ ऑल्टर का ही अभिनय देखने आते थे.

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एक इंटरव्यू में टॉम ने कहा था कि उन्हें हिन्दी, अंग्रेज़ी और ऊर्दू से बहुत लगाव है. मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर और मैथलीशरण गुप्त की रचनायें उन्हें बहुत पसंद हैं.

170 से भी अधिक फ़िल्मों में काम कर चुके, 67 वर्षीय टॉम ऑल्टर को Skin Cancer था, लास्ट स्टेज. ‘वो शक्तिमान’, ‘ज़बान संभाल के’ जैसे धारावाहिकों में भी नज़र आए हैं.

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टॉम ऑल्टर एक फ़िल्म डायरेक्ट करने वाले थे, जिसे फ़िलहाल के लिए होल्ड पर रखा गया है. पिछले साल, मशहूर गायक, के.एल.सहगल पर बने नाटक में अभिनय करते वक़्त भी उनकी तबियत ख़राब हो गई थी.

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मिर्ज़ा ग़ालिब के अलावा भी कई नाटकों, जैसे कि The Old Man and the Sea, मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद के लिए भी उन्हें अकसर याद किया जाता है. अपने अभिनय का कमाल उन्होंने रंगमंच पर कई दफ़ा दिखाया, पर हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री उन्हें बाहरवाले की तरह ही देखती रही, इस सच से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.