इस साल जुलाई के महीने के दौरान झारखंड के एक छोटे से गांव में एक अफ़वाह फ़ैली थी जिससे प्रभावित होकर सैंकड़ों लोगों ने सात लोगों की क्रूर तरीके से हत्या कर दी थी. दरअसल Whatsapp पर फ़ैली इस अफ़वाह के मुताबिक, ये 7 लोगों का गैंग इस गांव के बच्चों का किडनैप करता था, हालांकि ये अफ़वाह ग़लत साबित हुई, लेकिन 7 निर्दोष लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. अफ़वाहों का बाज़ार हमारे देश में हमेशा से ही गर्म रहा है, लेकिन सोशल मीडिया और इंटरनेट में इनका बाजा़र काफी खतरनाक रूप अख्तियार कर चुका है.

अगर आपको याद हो तो बीजेपी एमपी और अभिनेता परेश रावल ने कुछ समय पहले अपने ट्वीट में कहा था कि आर्मी की जीप से पत्थरबाज़ की जगह प्रख्यात लेखक और बुकर प्राइज़ विजेता अरूंधति रॉय को बांधना चाहिए था. खास बात ये है कि वो अरूंधति के जिस बयान के लिए ऐसा कह रहे थे वो बयान अरूंधति ने कभी दिया ही नहीं था.

ये नया नहीं है. भारत में सोशल मीडिया के 357 मिलियन से ज़्यादा यूज़र्स हैं और इनमें से उम्मीद से कहीं अधिक लोग ऐसे हैं, जो सोशल मीडिया पर आने वाली किसी भी चीज़ को बिना सोचे समझे सच मान बैठते हैं. खैर जब हमारे देश के नेता-अभिनेता परेश रावल जैसे लोग बिना जांच पड़ताल किए फ़ेक खबरों से आहत होकर कुछ भी ट्वीट कर सकते हैं, तो सोचिए आम जनता के लिए तो ये और भी मुश्किल होता होगा.

जहां फ़ेसबुक ने फ़ेक न्यूज़ के खिलाफ़ मोर्चा खोलने का दावा किया है वहीं भारत में दो ऐसी वेबसाइट्स हैं (Altnews और SMHoaxSlayer) जो ऐसी सभी संदिग्ध ख़बरों की पड़ताल कर असली न्यूज़ को फ़ेक न्यूज़ से अलग करने का काम करती हैं. लेकिन माना जा रहा है कि दिल्ली के प्रदूषण की तरह ही फ़ेक न्यूज़ का बिजनेस भी कम होने की जगह, बढ़ता ही जाएगा.

आइए जानते हैं साल 2017 की कुछ फे़क न्यूज़ के बारे में:

पीएम के ऑफ़िस में अंबानी की तस्वीर? झूठ!

सचिन तेंदुलकर के साथ एक तस्वीर में पीएम मोदी की तस्वीर पिछले कुछ समय पहले वायरल हुई थी. खास बात ये है कि इस तस्वीर के पीछे एक फ्रेम की गई तस्वीर में अंबानी बंधु दिखाई दे रहे हैं लेकिन Smhoaxslayer ने अपनी जांच में पाया कि ये केवल फ़ोटोशॉप किया हुआ है और पीएम ऑफिस में ऐसी कोई तस्वीर नहीं लगी है.

गुरमेहर कौर का वीडियो था फ़र्ज़ी

लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा गुरमेहर कौर ने जब एबीवीपी के खिलाफ़ प्रोटेस्ट किया तो उन्हें बहुत ट्रोल किया गया था. भारत-पाक शांति कैंपेन के लिए कौर ने एक प्लेकार्ड पर ‘पाकिस्तान ने नहीं, युद्ध ने मेरे पिता को मारा’ लिखाया था’ तो इस बात पर कई लोग भड़क कर उन्हें ट्रोल करने लगे थे और उनसे जुड़ी कई फ़ेक न्यूज़ भी सामने आने लगी थीं. ऐसा ही एक वीडियो था, जिसमें एक महिला को गाड़ी में गुनगुनाते और ड्रिंक करते देखा जा सकता था. इस वीडियो के सहारे कौर के चरित्र पर लांछन लगाने की कोशिशें की गई थी लेकिन ये वीडियो भी बाद में नकली साबित हुआ था.

वरिष्ठ पत्रकार के खिलाफ़ फ़ैलाया फ़र्ज़ी प्रोपैगेंडा

हाल ही में Whatsapp पर एक मैसेज फ़ार्वर्ड किया जा रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि मीडिया कंपनी न्यूज़लॉन्ड्री की चीफ़ एंकर मधु त्रेहन को फ़िल्म बाहुबली से दिक्कत थी क्योंकि उसमें कोई भी मुस्लिम किरदार नहीं था. इस खबर को फ़ेक राइट विंग साइट्स पर खूब प्रमोट और शेयर किया गया और मधु को काफी ट्रोल किया गया लेकिन Altnews ने छानबीन में पाया कि मधु ने ऐसी कोई बात कही ही नहीं थी.

नहीं, आपका फ़ोन कॉल उठाने की वजह से नहीं फटेगा

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कुछ दिनों पहले एक न्यूज़ भी वायरल हुई थी जिसके मुताबिक, 777888999 नाम के नंबर से कॉल पिक करने पर आपका फ़ोन फट सकता है. एक बार फिर, ये न्यूज़ भी Whatsapp के माध्यम से ही फ़ैलाई गई थी. Smhoaxslayer के मुताबिक, इस आर्टिकल में जो तस्वीर इस्तेमाल की जा रही थी, वो दो महीने पुरानी थी. इसके अलावा इस तरह का कोई सबूत नहीं है कि महज एक कॉल को पिक करने की वजह से फ़ोन में ब्लास्ट हो जाए.

मशहूर भविष्यवक्ता Nostradamus ने किया था पीएम मोदी के दबदबे का ऐलान? नहीं, वो झूठ था

Francos Gautier नाम के एक शख़्स का दावा था कि उसने कुछ छिपी हुई Manuscripts के सहारे ये पता लगाया है कि महान भविष्यवक्ता Nostradamus ने नरेंद्र मोदी के उदय की बात कही थी. इस शख़्स का दावा था कि 2012 में मिली एक पुरानी संदूक में ऐसे सभी manuscripts मिले हैं और 16वीं शताब्दी में ‘Narendrus’ के उदय की बात हुई थी. लेकिन Altnews की खोजबीन के बाद सामने आया कि ऐसे ही संदूक को वो 2009 में Nostradamus and Saffron और 2014 में Nostradamus और 2014 के नाम से भी प्रकाशित कर चुके हैं और हर बार इस Manuscript के अंदर की कहानियां बदल जाती हैं.

2000 के नोटों में जीपीएस, जो ख़त्म कर देगा ब्लैकमनी का धंधा, RBI ने कहा, ऐसा कुछ नहीं है

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नोटबंदी के दौरान भी कई तरह की फ़ेक न्यूज़ की बाढ़ आ गई थी. टीवी चैनल्स और अखबारों ने कई ऐसी खबरें छापी थी कि कैसे 2000 के नोटों में जीपीएस चिप मौजूद है और ब्लैक मनी के खिलाफ़ चल रही जंग को इन नोटों के आने के साथ ही जीत लिया जाएगा. हालांकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ और व्यापक स्तर पर फ़ैलती इस फ़र्जी खबर को पूर्ण विराम देने के लिए खुद आरबीआई ने आकर बयान दिया था कि इन नए नोटों में ऐसे किसी भी तरह के एडवांस फ़ीचर्स का इस्तेमाल नहीं हुआ है.

राजकोट बस स्टॉप के बनने से पहले ही बीजेपी नेता समेत कई लोगों ने शेयर कर दी थी तस्वीरें

गुजरात मॉडल और विकास का दम भरकर पीएम मोदी सत्ता के शिखर तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं लेकिन ये भी सच है कि गुजरात मॉडल की ये नैया, फ़ेक न्यूज़ के सहारे भी पार लगती रही है. राजकोट बस स्टॉप भी इसका एक खास उदाहरण है. राजकोट बस स्टॉप बनने से पहले ही लोगों ने इस बस स्टॉप की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया था. इनमें बीजेपी के एमपी बाबुल सुप्रियो, Infosys के पूर्व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स मोहनदास पाई और एचवी गोयनका जैसे बिज़नेसमैन भी शामिल थे. सभी फ़ेक न्यूज़ प्रोपैगेंडा का शिकार हुए थे और राजकोट बस स्टैंड के बनने की नींव 8 अप्रैल 2017 को रखी गई थी.

बांग्लादेश के वीडियो को बिहार का बताकर दो धर्मों में नफ़रत फ़ैलाने की गई कोशिश

हिंदुओ और मुस्लिमों के बीच नफ़रत फ़ैलाने के लिए भी कई वीडियो को इस्तेमाल किया गया था. इस वीडियो के टेक्स्ट में लिखा था – नवादा में एक हिंदु भाई को मुसलमानों ने बेरहमी से मार डाला. ये घटना इस महीने की छह तारीख की है. हमें पता है कि इसमें किसकी गलती है. इस वीडियो को इतना शेयर कीजिए कि ये पीएम मोदी तक पहुंच जाए. अगर आप सच्चे हिंदू है तो इसे फ़ौरन शेयर करें. जय श्री राम!

Altnews ने अपनी छानबीन में पाया कि ये वीडियो भी भारत का नहीं, बल्कि बांग्लादेश का है और ये घटना 1 अप्रैल को घटित हुई थी. इस वीडियो में कुछ अज्ञात लोगों ने अवामी लीग के लीडर मोनिर होसेन सरकार की हत्या की थी और मरने वाला शख़्स हिंदू नहीं, बल्कि बांग्लादेश का एक मुसलमान था.