कुछ महीने पहले तक दिल्ली में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना बड़ा ही आसान हुआ करता था, जिसकी वजह से कई बार लोग बिना ड्राइविंग टेस्ट दिए ही लाइसेंस बनवा लिया करते थे. ऐसे में कई बार उन नौसिखियों को भी लाइसेंस मिल जाया करता था, जो रोड पर रैश ड्राइविंग कर एक्सीडेंट का कारण बनते थे.

ऐसे लोगों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने नई गाइडलाइन्स लागू की हैं, जिसके तहत अब ड्राइविंग टेस्ट की CCTV रिकॉर्डिंग को संभाल कर रखा जाएगा. इसके साथ ही जून 2018 से शहर में 10 ऑटोमेटेड टेस्ट सेंटर बनाये जायेंगे, जहां पर ये जांच की जाएगी कि टेस्ट देने आया व्यक्ति पूरी तरह से Permanent ड्राइविंग लाइसेंस लेने के काबिल है या नहीं.

आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 6 वर्षों में रोड एक्सीडेंट की वजह से अकेले दिल्ली में 10000 लोगों की जानें जा चुकी हैं. हालांकि अभी ये साफ़ नहीं कि इसमें कितने एक्सीडेंट रैश ड्राइविंग की वजह से हुए. परिवहन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस बाबत हौज़ ख़ास, शकूर बस्ती, राजा गार्डन और हरी नगर में पहले ही टर्मिनल तैयार किये जा चुके हैं, जबकि रोहिणी, द्वारका और झरोदा कलां में कार्य प्रगति पर है. इसके अलावा अन्य टर्मिनल बुराड़ी, सराय काले खां और लोनी रोड के आस-पास बनने हैं.

इन 10 सेंटर्स के बाद 13 नए ट्रांसपोर्ट ऑफ़िस भी खोले जाने हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में हर दिन करीब 1,600 नए ड्राइविंग लाइसेंस बनते हैं, जिसमें टेस्ट के नाम पर आधे किलोमीटर से भी कम दूरी पर गाड़ी चलवा कर देखी जाती है. सीधे रास्ते होने की वजह से लोग इस टेस्ट को आसानी से पास कर लेते हैं.

ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत का कहना है कि ‘टेस्ट की रिकॉर्डिंग के आधार ड्राइवर के स्किल्स की जांच करना आसान रहेगा.’