बेंगलुरू के बेलांडुर झील से गुरुवार को भारी वर्षा के बाद एक बार फिर झाग निकलने लगा. इससे पहले भी इस प्रदूषित झील से झाग निकलने की घटना सामने आई थी. फरवरी में इस झील में केमिकल रिएक्शन से आग भी लग चुकी है.
पिछले 1 दशक में शहरीकरण और Planned Sewage System के अभाव में बेंगलुरु का पर्यावरण बद् से बद्तर हो चला है. सोचने वाली बात है कि एक झील में केमिकल्स के कारण आग भी लग गई और उसमें झाग भी बनने लगा है.
बुधवार को बेंगलुरू के ही वारथुर झील से 10 फ़ीट की ऊंचाई तक झाग निकल रहा है. इस झील से झाग निकल कर पास से गुज़रने वाले बाइकर्स पर गिर रहा है. बेलांडुर और वारथुर झीलों के आस-पास के फैक्ट्री और घरों का भी Untreated Water इन झीलों में डाला जाता है. Indian Institute of Science की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेलांडुर झील में 500 मिलियन लिटर Untreated Waste डाला जाता है.
सोमवार से हो रही लगातर बारिश से इन झीलों में पानी का लेवल तो बढ़ा ही है, साथ ही प्रदूषण भी बढ़ गया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, बेंगलुरू की बारिश ने पिछले 100 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
कई इलाकों में तो झीलों पर बनी बाउंडरी टूट गई है और पानी लोगों के घरों में भी घुस गया है.
इन दो झीलों से भयंकर बदबू भी आ रही है जिससे आस-पास रहने वाले लोग घर के अंदर रहने पर मजबूर हैं. यहां के बाशिंदे अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर रहे हैं.
गुरुवार को मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बड़े आराम से ये कहा कि इन झीलों की सफ़ाई में 1-2 साल का वक़्त लगेगा.
NGT ने कर्नाटक सरकार को झीलों की सफ़ाई के कड़े निर्देश दिए थे, पर सरकार झीलों की सफ़ाई करवाने में असमर्थ रही और झीलों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है. विदेश से आए कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर झीलों का प्रदूषण रोकना है तो इसका सबसे पहला तरीका है कि झीलों में Waste Material डालना बंद किया जाए. पर सरकार ये आसान सा काम करवाने में अभी तक असमर्थ है.
रिपोर्ट्स के अनुसार झीलों से निकलने वाला झाग Carcinogenic है, यानि इससे कैंसर का ख़तरा है. इससे सांस लेने में कठिनाई, Skin Irritation आदि समस्याएं हो सकती हैं. जब भी बारिश होती है, झील का पानी सड़कों पर आ जाता है जिससे ट्रैफ़िक जाम भी होता है.
सरकार ने अगर जल्द ही कुछ नहीं किया, तो वो दिन दूर नहीं जब इस ज़हरीली झाग से मासूम ज़िन्दगियां दांव पर लग जाएंगी.